राजनैतिक रूप लेता जा रहा बड़ा उदासीन अखाड़े में संतों का विवाद

हरिद्वार के भाजपा नेताओं का काला चिट्ठा पीएम व गृह मंत्री को सौंपेंगे संत


हरिद्वार।
अखाड़े के संतों के बीच आपसी खटपट से शुरू हुई जंग चार महंतों के निष्कासन के बाद कोर्ट में पहुंच चुकी है। बावजूद इसके कोई भी पक्ष अपने को कमतर बताने को तैयार नहीं है। हालांकि कुछ संतों ने आपस में बैठकर बातचीत के जरिए मामला निपटाने का सुझाव दिया था। कोशिश होती तो मामला निपट भी सकता था। मगर क्या करें इस राजनीति का, इसके बीच में आते ही फिर से पासा पलट गया।


अपने स्वार्थ के लिए अखाड़े के संतों के पीछे लगे कुछ नेताओं ने संतों के बीच वैमनस्य बढ़ाने का काम किया। जिससे की उनका फायदा हो सके। मामला हरिद्वार के साथ हैदाराबाद तक अखाड़े की 20 हजार करोड़ की सम्पत्ति सुनते ही पहुंच गया। जहां नेताओं ने अपनी पैठ बनाने की कोशिश की, मगर मामला परवान चढ़ने से पूर्व की धराशायी हो गया।


हालांकि इस मामले में भी अभी भी कुछ नेता लगे हुए हैं। सूत्र बताते हैं कि मामला कैसे निपटे और दूसरे गुट को कैसे मात दी जा सके, इसका ताना-बाना बुना जा रहा है। वहीं दूसरी ओर आरोपों के मुताबिक जहां नेताओं का एक गुट अखाड़े की सम्पत्ति पर गिद्ध दृष्टि बनाए हुए है वहीं दूसरा गुट सम्पत्ति बचाने के लिए संतों के साथ आ चुका है।

उधर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अखाड़े के संतों ने पत्र लिखकर अखाड़े के सम्पत्ति बचाने और भाजपा नेताओं के मायाजाल से अखाड़े को बचाने की गुहार लगाई है। उधर अखाड़े की सम्पत्ति पर गिद्ध दृष्टि जमाए हरिद्वार के भाजपा नेताओं का काला चिट्ठा प्रधानमंत्री व गृह मंत्री को सौंपने के लिए संतों का एक प्रतिनिधिमण्डल जाने पर विचार कर रहा है। यदि काला चिट्ठा संत प्रधानमंत्री व गृह मंत्री को सौंपते हैं तो मामले में कुछ बड़ा होने की संभावना है।

जैसा की श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के श्री महंत ज्ञानदेव सिंह महाराज के प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात के बाद हुआ था। मुलाकात के बाद अखाड़े में नेताओं की लाईन लग गई थी और कुछ फोन कर अपने संबंध में चर्चा करते दिखे थे, उस मामले में भीकुछ नेताओं को डर था की मुलाकात के दौरान कहीं उनकी पोल पट्टी श्रीमहंत ने न खोल दी हो।

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