हरिद्वार। चैत्र मास में शक्ति की आराधना का पर्व बुधवार को उल्लास पूर्वक आरम्भ हो गया। इस अवसर पर तीर्थनगरी के सभी देवी मंदिरों में उत्सव का नजारा दिखाई दिया। साथ ही नौ दिनों तक चलने वाली शक्ति की आराधना के लिए दुर्गा सप्तशती पाठ का आरम्भ भी हुआ। इसके साथ घट स्थापना के साथ घरों में भी नवरात्र मनाते हुए प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की गई।
नवरात्र के 9 दिन भक्ति और साधना के लिए बहुत पवित्र माने गए हैं। नवरात्र के पहले दिन शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री हिमालय राज की पुत्री हैं। मां शैलपुत्री श्वेत वस्त्र धारण कर वृषभ की सवारी करती हैं। देवी के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है। ये मां दुर्गा का प्रथम स्वरूप हैं। मां शैलपुत्री को स्नेह, करूणा, धैर्य और इच्छाशक्ति का प्रतीक माना जाता है।
चैत्र मास की प्रतिपदा के साथ आज से नवरात्र महोत्सव का शुभारम्भ हो गया। लोगों ने घरों में घट स्थापना कर मां दुर्गा की आराधना का शुभारम्भ किया। तीर्थनगरी के मठ-मंदिरों में भी देवी आराधना का अनुष्ठान आरम्भ हो गया। साथ ही नवसंवत्सर भी उल्लास के साथ लोगों ने मनाया।
नवरात्र आरम्भ होने की पूर्व संध्या से ही तीर्थनगरी के सभी शक्ति पीठों व देवी मंदिरों में विशेष सजावट की गई थी। नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना के साथ मंदिरों में मां का विशेष श्रृंगार व आरती हुई। मंदिरों में मां के दर्शनों के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी।
तीर्थनगरी हरिद्वार की अधिष्ठात्री कही जाने वाली मां माया देवी, विल्व पर्वत पर विराजमान मां मंशा देवी, नील पर्वत पर विराजमान मां चण्डी देवी, कौलाचार्य बाबा कामराज द्वारा स्थापित सिद्धपीठ मां दक्षिण काली मंदिर, मां शीतला माता मंदिर, सुरेश्वरी देवी, महिषासुर मर्दिनी, डाट काली मंदिर समेत सभी मंदिरों में विशेष अनुष्ठान आरम्भ होने के साथ विशेष श्रृंगार हुआ तथा दिन भर दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही।
नवरात्र पर बाजारों में भी खासी रौनक दिखाई दी। इसके साथ ही फलों व फूंलों के दामों में भी बढ़ोतरी देखी गई। घटस्थापना के बाद लोगों ने नवसंवत्सर का फलादेश भी सुना और एक-दूसरे को नवसंवत्सर की शुभकामनाएं देते हुए सुख-समृद्धि की कामना की।


