हरिद्वार। सनातन धर्म में महाशिवरात्रि का बहुत महत्व है। इस दिन विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करने से समस्त संकटों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही मनोकामनाएं पूरी होती हैं। महाशिवरात्रि हर वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को पड़ती है।
पं. देवेन्द्र शुक्ल शास्त्री ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस साल महाशिवरात्रि 18 फरवरी को पड़ रही है। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी को रात 8 बजकर 2 मिनट से शुरू होगी, जो 19 फरवरी को शाम 4 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी। मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोले नाथ की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने पर उनकी कृपा प्राप्त होती है। साथी ही सुख-समृद्धि भी आती है। समस्त प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। उन्होंने बताया कि यंू तो प्रत्येक दिन सनातनी को भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए, किन्तु महाशिवरात्रि भगवान शिव की आराधना का विशेष दिन है।
उन्होंने बताया कि यूं तो विधि पूर्वक भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। जो लोग विधिपूर्वक भगवान शिव की आराधना नहीं कर सकते हैं वह केवल एक लोटा जल मात्र भगवान पर अर्पित कर पुण्य अर्जित कर सकते हैं। कारण की भगवान शिव को जल धारा अतिप्रिय है। पं. शुक्ल ने बताया कि मान्यता है कि महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन की रात होती है। इस दिन गंगा जल से शिव का अभिषेक करने से दुखों से छुटकारा मिल जाता है। बताया कि इस दिनरात्रि के चारों प्रहर में भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति के समस्त कष्टों का क्षय हो जाता है और उसे शिवलोक की प्राप्ति होती है।