विपक्षी नेताओं पर सीबीआई, ईडी का शिकंजा, अपनों पर रहम क्यों!
हरिद्वार। भू उपयोग परिवर्तित करने के मामले में हुई धोखाधड़ी के संबंध में कोर्ट ने मुकद्मा दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
बता दें कि पीडि़त उमाशंकर मिश्रा ने क्यारकुली बट्टा में 26 बीघा जमीन का भू उपयोग परिवर्तित कराने के संबंध में केबिनेट मंत्री मदन कौशिक से मिलने की इच्छा जाहिर की। इस कार्य को यशदीप कुमार से ललित गौड़ के माध्यम से मंत्री मदन कौशिक के पीआरओ आलोक शर्मा से वार्ता करायी। मुलाकात के बाद आपस में हुए लेनदेन को लेकर विवाद हुआ। जिसके बाद उमाशंकर मिश्रा का यह पता चला की उनके कार्यालय से कुछ चैक गायब हैं। इस सबंध में उमाशंकर द्वारा बैंक को सूचना देने पर ज्ञात हुआ की यशदीप द्वारा चैक 8 जुलाई 2021 को बैंक में लगाए गए हैं।
मामला खुलने के बाद जब उमाशंकर ने ललित गौड़ से इस संबंध में सम्पर्क कर जानकारी दी तो उसने इस मामले में यशदीप के खिलाफ कोई कार्यवाही न करने की बात कहते हुए मसले को शीघ्र सुलझा लेने का आश्वासन दिया।
मिश्रा द्वारा दिए गए प्रार्थनापत्र के मुताबिक इसके बाद ललित व यशदीप ने किसी भी प्रकार से उमाशंकर से कोई सम्पर्क नहीें किया। जब मिश्रा ने दोनों से सम्पर्क किया तो उन्हें कोई उत्तर नहीं मिला। जिसके बाद उमाशंकर को एनआई एक्ट 138 के तहत नोटिस प्राप्त हुआ, जिसका मिश्रा ने उत्तर दे दिया। इसके बाद मिश्रा को झूठे मुकद्में में फंसाने और गंभीर परिणाम भुगतने की जानकारी दी जाती रही थी।
पत्र में मिश्रा ने बताया कि इस मामले में सत्ताधारी नेता व अधिकारी शामिल हैं। साथ ही जिस प्रकार से उन्हें धमकियां मिल रही हैं, उनके साथ कोई भी अप्रिय घटना घटित हो सकती है। इस संबंध में उमाशंकर मिश्रा ने 16 सितम्बर 2021 को एसएसपी देहरादून को डाक द्वारा पत्र प्रेषित कर इस संबंध में कार्यवाही किए जाने की मांग की।
पत्र देने के बाद भी आरोपियों के खिलाफ कोई कार्यवाही न होने पर उमाशंकर मिश्रा ने 156/3 के तहत न्यायलय का दरवाजा खटखटाया। पीडि़त ने तृतीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट देहरादून की आदालत में प्रकीर्ण वाद संख्या 1470/2021 उमाशंकर बनाम यशदीप दायर किया। जहां पीडि़त का प्रार्थनापत्र 15 दिसम्बर 2021 को खारिज कर दिया गया। इसके खिलाफ प्रार्थी मिश्रा ने निगरानी आयोजित की गई। प्रार्थी की निगरानी को स्वीकार कर करते हुए दोनों पक्षों को सुनने के बाद आदेश पारित किए जाने के निर्देश दिए गए। निगरानी में पारित आदेशों व अधिवक्ता के तर्कों को सुनने के बाद एसीजेएम तृतीय निहारिका मित्तल ने 13 मार्च 2023 को पुलिस को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश पारित किए हैं।
वहीं जमीन को लेकर घालमेल का यह काई पहला मामला नहीं है। इससे पूर्व भी कई ऐसे मामले में हैं, जो सत्ताधारी नेताओं की सलिप्तता को उजागर करते हैं। बात हरिद्वार नगरी की करें तो कई ऐसे आश्रम हैं जहां अप्रत्यक्ष से नेताओं का कब्जा है। माता श्यामो देवी रमेश चन्द्र धर्मार्थ ट्रस्ट के नाम पर सैंकड़ों बीघा भूमि को दान में दिखाकर सरकार को राजस्व का नुकसान पहुंचाया गया।
वहीं जीरो टालरेंस का दावा करने वाली सरकार अपनी पार्टी के नेताओं पर कार्यवाही करने से कतराती है। राहुल गांधी को सजा का मामला इस समय तूल पकड़े हुए है। खैर राहुल गांधी को सजा न्यायालय का मामला है। किन्तु जिस प्रकार से सीबीआई, ईडी आदि संस्थाएं कार्य कर रही हैं, उनके निशाने पर केवल विपक्ष ही क्यों रहता है। यदि सरकार अपनी ही पार्टी के कुछ नेताओं की जांच कराए तो विपक्ष से अधिक माल इनके पास मिल सकता है।


