मामले खुले तो कभी भी बनाए जा सकते हैं सरकारी दामाद!
हरिद्वार। संतों के लिए चातुर्मास का विशेष महत्व है। इस काल में साधु-संत एक स्थान पर निवास कर अनुष्ठान, जप-तप आदि करते हैं। जो संत नियमपूर्वक चातुर्मास के नियमों का पालन करते हैं वह इस समयावधि में नदी तक का उल्लंघन नहीं करते। आजकल कोई चार पक्ष का चातुर्मास कर सम्पूर्ण चातुर्मास मान लेता है तो कोई एक माह में ही चातुर्मास निपटा देते हैं।
बहरहाल चातुर्मास के नियम, उन नियम अलग मुद्दा है। इस बार का चातुर्मास कई संतों के लिए ग्रहण का कार्य कर सकता है। कुछ ढ़ोग करने वाले भगवाधारी चातुर्मास के दौरान बड़े पचड़े में पड़ सकते हैं। हो सकता है कि एकांत छोड़ सरकारी महल में कुछ को चातुर्मास करना पड़े। सूत्र बताते हैं कि कुछ संतों पर बेहद गंभीर आरोप हैं और उनकी जांच भी गुप्त रूप से चल रही है। ऐसे कुछ भगवाधारी धोखाधड़ी समेत कई गंभीर अपराधों में सलिप्त हैं।
इसके साथ ही एक संत ने एक ब्रह्मलीन संत के नाम पर फर्जी वसीयत तक तैयार कर उसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। जिस पर कानूनी कार्यवाही की तलवार लटकनी शुरू हो गई है।
ज्योतिषियों के मुताबिक सनातन वर्ष के अनुसार इस वर्ष के राजा शनिदेव हैं, जो न्यायप्रिय हैं। ऐसे में कुछ बड़े भगवाधारी शनिदेव के कोप के भाजन हो सकते हैं। यहां तक की चातुर्मास के दौरान ऐसे भगवाधारियों के जेल तक जाने के योग बने हैं। सूत्र बताते हैं कि ऐसे लोगों के काले कारनामों की लिस्ट बहुत लंबी है, जिसको देखते हुए इनको कभी भी सरकारी दामाद बनाया जा सकता है।