पैरों में निर्बलता, सुन्नता और कम्पन है तो करें ये उपाय

पिंडलियों में दर्द रहना, चलने में थकान महसूस करना, हाथ-पैर में सुन्नता महसूस करना, हाथ कांपना व शरीर का अत्यधिक दुबला-पतला व कमजोर होना जैसी समस्याएँ शामिल होती हैं,
इसके उपचार हेतु असगंध व आमलकी रसायन के मिश्रण से बने चूर्ण का सेवन न सिर्फ बहुत सरल व सस्ता बल्कि अत्यधिक गुणकारी नुस्खा साबित होता है।

असगन्धः- इसका स्वाद कसैला, कडवा होता है। इसकी जड ही काम में ली जाती है और इसमें घोडे के शरीर के समान गन्ध पाई जाती है। शायद इसीलिये इसे (अर्श्व) असगन्ध कहा जाता है। यह आपको किसी भी जडी-बूटी विक्रेता के यहां मिल सकता है। उपरोक्त उपचार हेतु इसके चूर्ण की आवश्यकता होती है। अतः यदि बाजार से चूर्ण तैयार मिल जावे तो अति उत्तम, अन्यथा आप इसे जड़ रुप में खरीदकर घर पर इसका कूट-पीसकर 100 ग्राम के लगभग बारीक चूर्ण बना लें।

आमलकी रसायनः- आंवले के चूर्ण में आंवले का ही इतना ताजा रस मिलाया जाता है कि चूर्ण करीब-करीब रोटी के लिये उसने हुए आटे से भी कुछ अधिक नरम हो जाता है इसे आयुर्वेद की भाषा में भावना देना कहते हैं। फिर इस रस मिश्रीत चूर्ण को सुखाया जाता है। सूखने पर पुनः इसी प्रकार से इसमें आंवले के ताजे रस की भावना दी जाती है और फिर इसे सुखाया जाता है। इस प्रकार इस चूर्ण में 11 बार आंवले के रस की भावना दी जाती है और हर बार इसे सुखाया जाता है। 11 भावना के पूर्ण हो चुकने पर इसी चूर्ण को आमलकी रसायन कहा जाता है। ये परिचय यहां सिर्फ आपकी जानकारी के लिये प्रस्तुत किया गया है, बाकि तो आप इसे किसी भी प्रतिष्ठित आयुर्वेदिक औषधि निर्माता कम्पनी का बना हुआ तैयार आमलकी रसायन बाजार से 100 ग्राम मात्रा की पेकिंग में खरीदकर काम में ले सकते हैं।
अब असगन्ध व आमलकी रसायन के इन दोनों चूर्ण को आपस में मिलाकर किसी भी एअर टाईट शीशी या डिब्बे में भरकर रख लें और समान मात्रा में मिश्रीत इस चूर्ण को पहले सप्ताह सिर्फ चाय के आधा चम्मच के बराबर मात्रा में लें व इसमें शहद मिलाकर प्रातःकाल इसका सेवन कर लें।
एक सप्ताह बाद आप इस आधा चम्मच मात्रा को एक चम्मच प्रतिदिन के रुप में लेना प्रारम्भ कर दें।
यदि आप शहद न लेना चाहें तो मिश्री की चाशनी इतनी मात्रा में बनाकर रखलें जितनी 8-10 दिन में समाप्त की जा सके। इस चाशनी में 4-5 इलायची के दाने भी पीसकर डाल दें और इस चाशनी के साथ असगन्ध व आमलकी रसायन का यह चूर्ण उपरोक्तानुसार सेवन करें।
लेकिन शुगर (मधुमेह) के रोगियों को इसे चाशनी की बजाय शहद मिलाकर ही लेना उपयुक्त होता है।
इसके नियमित सेवन से उपरोक्त वर्णित शिकायतें दूर होने के साथ ही शरीर सबल, शक्तिशाली व सुडौल होता जाता है।
पिचके गाल भर जाते हैं और शरीर का दुबलापन दूर हो जाता है। इसे युवा लडके-लडकियां तथा प्रौढ व वृद्ध स्त्री-पुरुष सभी सेवन कर सकते हैं।
प्रतिदिन सुबह खाली पेट कम से कम 40 दिनों तक इसका सेवन करें। इस अवधि में तले पदार्थ, तेज मिर्च मसाले, खटाई (इमली, अमचूर व कबीट की), मांसाहार व शराब का सेवन बिलकुल बन्द रखें।
भोजन भूख से थोडी कम मात्रा में और अच्छी तरह से चबा-चबा कर करें। चाहें तो 40 दिनों से ज्यादा समय तक भी आप इसका सेवन कर सकते हैं।

उपरोक्त सभी शारीरिक समस्याओं में पूर्ण लाभकारी व निरापद प्रयोग माना जाता है।
विशेषः- कुछ लोगों को शहद या चाशनी में मिलाकर इसे लेने में किसी भी कारण से कोई असुविधा महसूस होने पर दूध के साथ फांककर भी इसका प्रयोग करने का सुझाव प्रशिक्षित वैद्यों के द्वारा देते देखा गया है।
आप इसे शहद (प्रथम), मिश्री की चाशनी (द्वितीय) व दूध (तृतीय) गुणवत्ता के आधार पर समझते हुए अपनी सुविधानुसार इसका प्रयोग कर सकते हैं।
Vaid Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy Kankhal Hardwar aapdeepak.hdr@gmail.com
9897902760

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