संस्कृत भाषा भारतीय चिन्तन एवं वैज्ञानिक परम्परा की नींवः कुलपति

संस्कृत शोध छात्र सम्मान समारोह सम्पन्न हुआ
हरिद्वार।
उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी द्वारा संस्कृत के प्रचार-प्रसार एवं शोध को बढावा दिये जाने के उद्देश्य से संस्कृत शोधछात्र सम्मान समारोह आज सम्पन्न हुआ।


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश चन्द्र शास्त्री ने कहा कि संस्कृत भाषा भारतीय चिन्तन एवं वैज्ञानिक परम्परा की नींव है। हमारे ऋषियों के द्वारा किया गया चिन्तन विश्व के लिए शोध का आधार बना हुआ है। उन्होंने शोध छात्रों को सम्बोधित करते हुये कहा कि संस्कृत के विकास के लिए हमारी जिम्मेदारी अधिक है इसलिए हमको शोध संकलन नहीं, अपितु वास्तविक तथ्यात्मक शोध करना होगा। उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी द्वारा शोध छात्रों को सम्मानित करना यह प्रशंसनीय कार्य है, अकादमी प्रत्येक क्षेत्र व स्तर पर संस्कृत के विकास के लिए कार्य कर रही है। शायद ही देश में अन्य कोई अकादमी शोधछात्रों को प्रोत्साहित करने के लिए कार्य कर रही हो।
अकादमी के सचिव एसपी खाली ने कहा कि संस्कृत भारतीय ज्ञान परम्परा का स्रोत हैं, संस्कृत के प्रचार प्रसार से ही भारतीय ज्ञान-विज्ञान, मानव मूल्य, संस्कृति, सभ्यता, और संस्कार सुरक्षित रह सकते है। संस्कृत के विकास के लिए युवाओं को आगे आकर संस्कृत में अनुसन्धान करना होगा। समाज की आवश्यकता और अपेक्षा के अनुसार योजनाऐं बनानी होंगी।


श्री खाली ने बताया कि अकादमी द्वारा पहली बार शोध को बढावा दिये जाने के लिए प्रदेश के विश्वविद्यालयों के संस्कृत विभाग में पंजीकृत सामान्य श्रेणी के 06 शोधछात्रों एवं अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के 03 छात्र सहित कुल 09 शोधछात्रों को सम्मानित किया गया, जिसमें प्रत्येक शोधछात्र को छात्रवृत्ति के रूप में रूपये तीस हजार की सम्मान राशि एवं प्रमाण पत्र प्रदान किया।


अकादमी ने पहली बार सामान्य श्रेणी के शोधछात्रों में हेमवती नन्दन बहुगुणा गढवाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय के आजाद जुयाल, गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय की भावना एवं ज्योति रानी राठौर, उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय की करुणा गुप्ता, सोबनसिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोडा के रोहित पन्त एवं हरीश चन्द्र तथा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के शोधछात्रों में सोबनसिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोडा की सपना एवं श्वेता कुमारी, कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल के कैलाश विजल्वाण को संस्कृत शोधछात्र सम्मान के रूप में रूपये तीस हजार की सम्मान राशि एवं प्रमाण से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम को उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलसचिव गिरीशकुमार अवस्थी, संस्कृत निदेशालय के उप निदेशक पद्माकर मिश्र, संस्कृत शिक्षा परिषद् के सचिव डॉ. वाजश्रवा आर्य ने भी सम्बोधित किया।
कार्यक्रम में अकादमी के कोषाध्यक्ष सत्येन्द्र प्रसाद डबराल, प्रकाशन अधिकारी किशोरीलाल रतूडी, प्रशासनिक अधिकारी लीला रावत, सहायक पुस्तकालयाध्यक्ष रमा कठैत, सहायक लेखाधिकारी हरीश नाथ, डॉ. बलदेव प्रसाद चमोला, डॉ. प्रकाश चन्द्र जोशी, डॉ. नवीन पन्त, मोनिका आर्य, गणेश फोन्दणी, विजय कुमार गुप्ता आदि उपस्थित रहे।

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