कई बार पिटने के बाद भी नहीं आ रहे
हरिद्वार। कभी पत्रकारिता को समाज का आईना कहा जाता था, किन्तु अब इसका स्वरूप बदल चुका है। दलाल किस्म और कम पढ़े-लिखे कथित पत्रकारों के कारण आए दिन वास्तविक पत्रकारों को शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। कथित दलाल पत्रकार समाज के लिए कोढ़ में खाज की तरह हो गए हैं। आलम यह है कि पिटने के बाद भी इनकी हरकतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।
बता दें कि कनखल क्षेत्र में एक निर्माण कार्य के लिए कुछ कथित पत्रकारों ने आतंक मचाया हुआ है। सभी प्रयास विफल होने के बाद अब दलाल पत्रकार आरटीआई को अपना हथियार बनाकर ब्लेकमैल करने पर उतारू हो गए हैं। किन्तु आरटीआई और शिकायतों के बाद भी इनके अरमानों पर सबूतों के कारण पानी फिर चुका है। बावजूद इसके बेशर्मी देखिए की इनको पैसा चाहिए।
एक महाशय दलाल पत्रकार ने अपने दलाल के माध्यम से दो लाख की डिमांड कर डाली। किन्तु दोनों के प्रयास विफल रहे। अब ब्लैकमेलर पत्रकार ने शिकायतों और आरटीआई का सहारा लेना शुरू कर दिया, किन्तु सबूतों के आगे वहां भी ब्लैकमेलर पत्रकार को मुंह की खानी पड़ी।
मजेदार बात यह कि एक दलाल पत्रकार अपनी ब्लैकमेलिंग के कारण जमकर पीटा भी जा चुका है। एक अधिकारी को अपना भाई बताने वाले इस पत्रकार के खिलाफ स्वंय अधिकारी भी मोर्चा खोल चुका है। बावजूद इसके इस ब्लैकमेलर पत्रकार का आतंक बरकरार है। अब इस ब्लैकमेलर पत्रकार पर शीघ्र शिंकजा कस सकता है। जिन व्यक्ति को यह पत्रकार ब्लैकमेल करने के प्रयास में लगा हुआ है वह शीघ्र ही इसके खिलाफ सबूतांे के साथ मुकदमा दर्ज कराने की तैयारी में हैं। कुछ वीडियो और अन्य सबूत सामने आए हैं, जिसके चलते इस ब्लैकमेलर पत्रकार का बचाना मुश्किल है।
शर्मनाक बात यह कि आए दिन जलील होने के बाद भी इन पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। पूर्व में यह ब्लैकमेलर पत्रकार अपने कुछ साथियों के साथ एक आश्रम में जा पहुंचा। वहां अनुमति लेकर घाट का निर्माण कराया जा रहा था। दो दिन तक निर्माण को लेकर संत को परेशान करने वाले इस ब्लैकमेलर पत्रकार और उसके तीन साथियों ने जब खुद को फंसते हुए देखा तो वहां से हाथ जोड़कर निकल लिए।
अभी हाल ही में एक भण्डारे में नाम लेकर कुछ कथित पत्रकारों को जमकर जलील किया गया। वहीं दीपावली की पूर्व संध्या पर तो एक संत ने पत्रकारों की फौज की घनघोर बेइज्जी कर डाली। उन्होंने कहाकि आज पत्रकारिता में अनपढ़ों की फौज इकट्ठी हो गयी है। कम पढ़े-लिखे पत्रकार बनकर कहीं भी पहुंच जाते हैं। जिस कारण से विचारों का अभाव और पत्रकारिता का ह्ास हो रहा है। कम से कम पढ़े-लिखांे को ही पत्रकारिता में आना चाहिए।
वहीं हाल ही में हुए एक भण्डारे में बीबी, बच्चों और दूसरे शहरों के कथित पत्रकारों की भीड़ देखकर संत ने अब निर्णय लिया है। संत का कहना है कि या तो भण्डारे आदि में पत्रकारों की एक कमेटी बनाकर उन्हें एक मुश्त रकम दे दी जाएगी या फिर जो आम संत को सौ या दो सौ रुपये दिए जाते हैं वहीं कथित पत्रकारों को दिए जाएंगे।
मजेदार बात यह कि ऐसे ब्लैकमेलर पत्रकारों के कारण कुछ अधिकारी भी परेशान हैं और कुछ कथित अधिकारी ऐसे दलाल पत्रकारों को मुंह लगाकर चांदी काटने का काम कर रहे हैं। खैर जो हालात और सबूत दिखायी दे रहे हैं उसके आधार पर दलालों और ब्लैकमेलरों पर शिकंजा कसना तय है। कारण की आम लोग ब्लैकमेलरों के आतंक से काफी ज्यादा त्रस्त हो चुके हैं।


