जानिये कुल्ला करने की सही विधि जो प्राकृतिक चिकित्सा का अभिन्न अंग है और इसके चमत्कारिक लाभ

हमारी परम्पराएं और घरेलु ज्ञान इतना जबरदस्त है की अगर हम इन पर थोडा भी ध्यान दें तो बिना दवा के भी स्वस्थ रह सकते हैं।

आज आपको ऐसी ही एक विधि से परिचित करवा रहें हैं जिसका नाम है कुल्ला।
कुल्ला एक ऐसी विधि है जिससे आप बिना दवा के जुकाम, खांसी, श्वांस रोग, गले के रोग, मुंह के छाले, शरीर को डीटोक्सिफाई करने, गर्दन के सर्वाइकल जैसे रोगों से मुक्ति पा सकते हैं।

आइये जानते हैं कुल्ला करने की सही विधि और इसके चमत्कारिक लाभ।

पानी का कुल्लाः-
मुंह में पानी का कुल्ला तीन मिनट तक भर कर रखें। इससे गले के रोग, जुकाम, खांसी, श्वांस रोग, गर्दन का दर्द जैसे कड़कड़ाहट से छुटकारा मिलता है। नित्य मुंह धोते समय, दिन में भी मुंह में पानी का कुल्ला भर कर रखें। इससे मुंह भी साफ हो जाता है।

मुंह में पानी का कुल्ला भर कर नेत्र धोएं। ऐसा दिन में तीन बार करें। जब भी पानी के पास जाएं मुंह में पानी का कुल्ला भर लें और नेत्रों पर पानी के छींटे मारें, धोएं।
मुंह का पानी एक मिनट बाद निकाल कर पुनः कुल्ला भर लें।
मुंह का पानी गर्म ना हो इसीलिए बार बार कुल्ला नया भरते रहें।

भोजन करने के बाद गीले हाथ तौलिये से नहीं पोंछे। आपस में दोनों हाथों को रगड़ कर चेहरा व कानों तक मलें। इससे आरोग्य शक्ति बढती है। नेत्र ज्योति ठीक रहती है।

गले के रोग, सर्दी जुकाम या श्वांस रोग होने पर थोडा गुनगुना पानी ले कर इसमें सेंधव् (सेंधा) नमक मिला कर कुल्ला करना चाहिए, इस से गले, कफ, ब्रोंकाइटिस जैसे रोगों में बहुत फायदा होता है।

तेल का कुल्लाः-
सुबह-सुबह बासी मुंह में सरसों या तिल का तेल भर कर पूरे 10 मिनट तक उसको चबाते रहें, ध्यान रहे ये निगलना नहीं है, ऐसा करने से मुंह और दांतों के रोग तो सभी ठीक होंगे ही, साथ में पूरी बॉडी डीटोक्सिफाई होगी।
अनेक रोगों से मुक्त होने की इस विधि को तेल चूषण विधि कहा जाता है। आयुर्वेद में इसको गण्डूषकर्म कहा जाता है और पश्चिमी जगत में इसको आयल पुल्लिंग के नाम से जाना जाता है।

दूध का कुल्लाः-
अगर मुंह में या गले में छाले हो जाएँ और किसी भी दवा से ठीक ना हो रहें हो तो आप सुबह कच्चा दूध (अर्थात बिना उबला हुआ ताजा दूध) मुंह में कुछ देर तक रखें। और ध्यान रहे इस दूध को आपको बाहर फेंकना नहीं है!
इसको मुंह में जितना देर हो सके 10 से 15 मिनट तक रखें, कुछ देर बाद बूँद-बूँद कर के ये गले से नीचे उतरने लगेगा। इस प्रयोग को दिन में 2-4 बार कर सकते हैं।
आपको मुंह, जीभ और गले के छालो में पहले ही दिन में आराम आना शुरू हो जायगा !

Dr. (Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
Kankhal Hardwar aapdeepak.hdr@gmail.com
9897902760

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