हरिद्वार। भारतीय प्राच्य विद्या सोसाइटी कनखल के संस्थापक ज्योतिषाचार्य पंत्र प्रतीक मिश्रपुरी ने बताया कि आगामी 20 जून को श्री गंगा दशहरा है। वाराह पुराण के मुताबिक इस दिन मां गंगा स्वर्ग से अवतरित हुए थी। जब गंगा पृथ्वी पर्र आइं तो उस दिन दस योग विद्यमान थे। ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि, बुधवार, हस्त नक्षत्र, व्यति पात योग, गर करण, आनंद योग, वृष में सूर्य, कन्या में चंद्रमा, इन योगों में मां गंगा का जन्म पृथ्वी पर हुआ था। उन्होंने बताया कि मां गंगा ब्रह्मा के कमंडल से निकल कर विष्णु के पावों को स्पर्श करती हुई, शिव की जटाओं में समा गई। इसलिए मां गंगा में इन तीनों देवों की शक्ति है। कहा जाता ही की इस दिन गंगा में स्नान करने से दस प्रकार के पापों का नाश होता है। श्री मिश्रपुरी ने बताया कि वे दस पाप हैं बिना दिए हुए दूसरे की वस्तु लेना, शास्त्र वर्जित हिंसा करना, परस्त्री गमन, ये तीन प्रकार के शरीर से किए हुए पाप, कटु बोलना, झूठ बोलना, दूसरों की बुराई करना, वाचिक पाप हंै, दूसरे के धन को लेने का विचार करना, मन से दूसरे के अनिष्ट का चिंतन करना, नास्तिक बुद्धि रखना ,ये मानसिक पाप हैं। इन सभी पापों का शमन इस दिन गंगा में स्नान करने से हो जाता है। उन्होंने बताया कि इस दिन गंगा जी में पूर्व की ओर मुख करके स्नान करने और अपने गोत्र इत्यादि का संकल्प करते हुए अपने किए गए पापों को कहे फिर दस डुबकी श्री गंगा को में लगाएं। इसके बाद दस प्रकार के फूल, दस प्रकार की मिठाई, फल, रंग, दस प्रकार के वस्त्र, इत्यादि से मां का पूजन करें। यदि कुछ नही मिलता है तो दीपक जलाकर नारियल चुनरी मां का अर्पित कर दें।
श्री मिश्रपुरी ने कहाकि यदि मां गंगा न होती तो इस पूरे भारत वर्ष में जीवन की परिकल्पना भी मुश्किल थी। इस दिन गंगा जी में खड़े होकर गंगा जी के मंत्री का जाप भी किया जाता है। ओम नमः शिवाय नारायण्ये दशहराय गंगाये नमः इस मंत्र का जप करें। इसके बाद दस ब्राह्मणों को दस दस रुपए का दान करें दस ही दीपक हो, दस तांबूल ब्राह्मणों को सोलह सोलह मुट्ठी यव का दान भी कहीं-कहीं कहा गया है। उन्होंने बताया कि राजा भागीरथ का पूजन भी मां गंगा के साथ किया जाता है। हरिद्वार में गंगा जी इसी दिन आई थी, इसलिए हरिद्वार में स्नान का विशेष महत्व है। परंतु इस दिन गंगा में कही भी स्नान किया जा सकती है। इसी दिन राजा सगर के 60 हजार पुत्रों का तर्पण हुआ था। उनकी अस्थियां गंगा के स्पर्श मात्र से मुक्त हो गई थी। तभी से गंगा में ही अस्थियां डालने का कार्य प्रारंभ हुआ। इस दिन गंगा में स्नान करने वाला कभी दरिद्री नही होता। उन्होंने बताया कि इस बार 20 जून को दस योग तो नहीं होंगे। इस बार वृष में सूर्य नही होंगे, कन्या में चंद्र नहीं होंगे। बुधवार नहीं होगा, आनंद योग नहीं होगा, गर करण, वायतिपत योग नहीं होगा। केवल ज्येष्ठ मास, दशमी तिथि, शुक्ल पक्ष, ये तीन योग ही होंगे। ऐसा वर्षांे बाद होता है जब इतने कम योग में गंगा दशहरा हो।