आनन्द-नरेन्द्र गिरि विवादः आग में घी डालने वालों पर कसेगा शिंकजा

हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि की मौत के बाद भी तरह-तरह के रहस्यों से पर्दा उठ रहा है। हालांकि सीबीआई ने अपनी चार्ज सीट कोर्ट में पेश कर दी है। बावजूद इसके उसकी जांच जारी है। जांच में नरेन्द्र गिरि को आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए आनन्द गिरि, आद्या तिवारी व उसके बेटे संदीप तिवारी को मुख्य आरोपी बनाया गया है, जो अभी सलाखों के पीछे हैं।
इसी के साथ एक कथित अश्लील वीडियो की भी चर्चा है। जिसको लेकर नरेन्द्र गिरि को ब्लैकमेल किए जाने की बात भी सामने आ रही है। बहरहाल जांच जारी है, अंतिम परिणाम अभी आना बाकी है।
वहीं सूत्र बताते हैं कि आनन्द गिरि और नरेन्द्र गिरि के बीच आपसी मतभेद के बाद जो विवाद उत्पन्न हुआ था वह आनन्द गिरि के माफीनामे के बाद समाप्त हो गया था। किन्तु कुछ लोग ऐसे थे जो इस विवाद को समाप्त नहीं होने देना चाहते थे। सूत्र बताते हैं कि नरेन्द्र गिरि आनन्द गिरि को माफीनामे के बाद अखाड़े में वापसी के पक्षधर थे, किन्तु कुछ लोग इसके विरोध में थे। सूत्रों का कहना है कि दोनों के बीच विवाद समाप्त होता देख कुछ लोगेों ने दोनों को भ्रमित करने का कार्य किया और दोनों को गुमराह किया, जिससे गुरु-चेले में सुलह न हो जाए। सूत्रों के मुताबिक इसी के चलते दो संतों ने हरिद्वार में निवास कर रहे आनन्द गिरि से गुपचुप तरीके से मुलाकात की थी। जिसमें एक संत कथित अश्लील वीडियो देखने वाला भी शामिल था। सूत्र बताते हैं कि इन संतों ने ही गुरु-चेले के विवाद में आग में घी डालने का काम किया। सूत्रों के मुताबिक अब आनन्द गिरि के वकील इस मामले को लेकर कोर्ट में गुहारे लगाएंगे की उन संतों की क्या भूमिका थी, की भी जांच की जानी चाहिए, जिन्होंने आनन्द गिरि के साथ नरेन्द्र गिरि का बरगलाने का कार्य किया। क्यों वे दोनों के बीच सुलह नहीं होने देना चाहते थे। आखिर ऐसे कौन से कारण थे, जिसके चलते उन दो कथित संतों ने दोनों के बीच खायी खोदने का कार्य किया। क्यों नरेन्द्र गिरि को अखाड़े से बाहर किए जाने की चर्चा थी। यदि ऐसा होता है और कोर्ट उनके अनुरोध को मान लेता है तो संतों पर शिकंजा कसना तय है।

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