अपने पिता के इलाज के लिए दो मासूम बेटियां दर-दर भटक रही हैं। दोनों बेटियां अब पिता के इलाज के लिए लोगों से चंदा मांग रही हैं। ताकि उनके पिता का इलाज हो सके। कुछ स्थानीय लोग इन बच्चियों की सहायता भी कर रहे हैं, लेकिन बच्चियों के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वह अपने पिता का अच्छे से इलाज करा सकें। दोनों लड़कियां का शहर में घूम-घूम कर लोगों से आर्थिक सहायता मांगना, कहीं न कहीं सरकारी सिस्टम पर भी सवाल खड़े कर रहा है। क्योंकि सरकारी आयुष्मान योजना होने के बावजूद गोपाल शर्मा को इलाज के लिए लाखों रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं।
बता दें कि डारिया धान मिल निवासी गोपाल शर्मा को कुछ दिन पहले ब्रेन हेमरेज हो गया। उन्हें इलाज के लिए स्थानीय लोग सुशीला तिवारी अस्पताल ले गए। सुशीला तिवारी अस्पताल से डॉक्टरों ने गोपाल को निजी हॉस्पिटल में रेफर कर दिया। वहां सामाजिक संगठन और स्थानीय लोगों की मदद से इलाज में करीब 2 लाख का खर्च हुआ, लेकिन स्थिति इतनी खराब हुई कि गोपाल शर्मा को दिल्ली भेजना पड़ा।
सफदरजंग अस्पताल में गोपाल शर्मा का इलाज चल रहा है। वहां उनकी दो सर्जरी हो चुकी हैं, लेकिन उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई है। वे अभी भी आईसीयू में भर्ती हैं। मौत और जिंदगी के बीच जूझ रहे, लेकिन पैसा नहीं होने पर चलते उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। गोपाल शर्मा की पत्नी उनकी देखभाल कर रही हैं। जबकि उनकी 7 और 8 वर्षीय दो बेटियां पिता के इलाज के दर-दर भटक रही हैं। दोनों बेटियां पिता के इलाज के लिए दान पेटी में चंदा मांग रही हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने लोगों से अपील की है कि जो कोई गोपाल शर्मा की मदद करना चाहता है, वह मदद कर सकता है।