सनातन धर्म की रीढ़ हैं अखाड़ेः रविन्द्र पुरी

अटल अखाड़े में नवनिर्मित गजानन मंदिर में स्थापित की गयी चरण पादुका
हरिद्वार।
श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़े में इष्ट देव आदि गुरु गजानन भगवान के नवनिर्मित मंदिर में चरण पादुका की स्थापना की गई। अटल पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर राजगुरु स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती एवं संतों के सानिध्य में नवनिर्मित भवन की प्रवेश पूजा कर विश्व कल्याण की कामना की गई।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि अखाड़े सनातन धर्म की रीढ़ हैं। जिन्होंने अनादि काल से भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म को जीवंत रखा है। धर्म के संरक्षण संवर्धन में संतों ने सदैव अहम भूमिका निभाई है। ब-जब भी देश पर कोई भी विपत्ति आई है अथवा धर्म पर कुठाराघात हुआ है। तब-तब संत समाज ने आगे आकर शस्त्र के साथ-साथ शास्त्र विद्या का प्रयोग कर धर्म की रक्षा की है। उन्होंने कहा कि भगवान श्री गणेश रिद्धि सिद्धि बल बुद्धि के प्रदाता हैं। जिनके बिना कोई भी शुभ कार्य अधूरा है। हम सभी को अपने धर्म एवं संस्कृति के बारे में ज्यादा से ज्यादा जागृत होकर अपने परिवारों में सुसंस्कारों का प्रसार करना चाहिए।
निर्वाण पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद भारती महाराज ने कहा कि प्राचीन काल से वर्तमान तक श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा राष्ट्र की एकता अखंडता बनाए रखने में अपनी सहभागिता निभाता चला आ रहा है। संतों द्वारा किए गए परोपकार के कार्य और समाज को दी गई धर्म विज्ञान की प्रेरणा एक सशक्त समाज का निर्माण कर रही है।
कार्यक्रम को अध्यक्षीय पद से संबोधित करते हुए अटल पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर राजगुरु स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि सभी संतें के प्यार और स्नेह से ही अटल अखाड़ा राष्ट्र निर्माण में अपना सहयोग प्रदान कर रहा है। कुंभ मेले के माध्यम से पूरे विश्व को धर्म का एक सकारात्मक संदेश प्रदान करने में सभी अखाड़ों की सहभागिता जरूरी है और प्राचीन काल से यह होता भी आ रहा है। भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म से प्रभावित होकर आज विदेशी लोग भी भारतीय सभ्यता को अपना रहे हैं। इस अवसर पर आचार्य स्वामी विश्वेश्वरानंद, महंत देवानंद सरस्वती, महंत सत्यम गिरी, महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद गिरि, महामंडलेश्वर स्वामी गिरिधर गिरी, महामंडलेश्वर स्वामी चिदंबरानंद, महामंडलेश्वर स्वामी आनंद चौतन्य, महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमपुरी, महंत बलराम भारती, महामंडलेश्वर साध्वी प्रज्ञा गिरी, स्वामी शरद पुरी, स्वामी गंगा दास उदासीन, महंत दामोदर दास, श्रीमहंत विष्णु दास, महंत प्रेमदास, महंत प्रमोद दास, महंत रघुवीर दास, महंत गोविंद दास, महंत दुर्गादास, महंत अरुण दास सहित कई संत महापुरुष उपस्थित रहे।

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