सोंठ का उपयोग हर घर में किसी न किसी रूप में जरूर होता है। दाल-साग के मसाले में इसका उपयोग होता है। अदरख पककर सूख जाती है, तब उसकी सोंठ बनती है।
सोंठ और गुड़ को पानी में मिलाकर नाक में उसकी बूंदे डालने से हिचकी दूर होती है।
सोंठ और गुड़ खाने से पीलिया मिटता है।
सोंठ, आंवले और मिस्री का बारीक चूर्ण बनाकर सेवन करने से अम्लपित्त मिटता है।
सोंठ के रस में हल्दी और गुड़ डालकर पीने से धातुस्राव रुकता है, पेशाब में जाने वाली धातु भी बंद होती है।
आधा तोला सोंठ का चूर्ण बकरी या गाय के आधा सेर दूध के साथ पीने से, वेदनायुक्त पेशाब के साथ खून निकलता हो तो वेदना और रक्तस्राव में लाभ होता है।
सोंठ और एरंड मूल का रस बनाकर उसमें पीसी हुई हींग और काला नमक डालकर पीने से वातशूल मिटता है।
सोंठ और गोखरू का जूस बनाकर, रोज सुबह-शाम पीने से कटिशूल, संधिवात और अजीर्ण मिटता है।
सोंठ, जीरा और सेंधा नमक का चूर्ण ताजा दही में, मट्ठे में मिलाकर भोजन के बाद पीने से पुराने अतिसार का मल बंधता है।
सोंठ आधा तोला और पुराना गुड़ आधा तोला मसलकर रोज प्रात: खाने से अजीर्ण, आमातिसार और गैस मिटती है।
सोंठ और खसखस के मूल को पानी में उबालकर पीने से दस्त बंद होते है।
Dr.(Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
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