वारंट जारी होने का भय दिखाकर ठगी करने वाले तीन गिरफ्तार, मास्टरमाइंड फरार

पुरानी रंजिश के चलते रची थी साजिश, मास्टरमाइंड दुष्कर्म के मामले में जा चुका है जेल
हरिद्वार।
सड़क दुर्घटना के मुकदमें में पीडि़त को वारंट जारी होने का भय दिखाकर हजारों रुपये ठगने के मामले में तीन आरोपितों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपित वर्ष 2022 में दुष्कर्म के मामले में जेल भी जा चुका है। पीडि़त की इसी दौरान जेल में मास्टरमाइंड से मुलाकात हुई थी। मास्टरमाइंड ने पुरानी रंजिश के चलते साइबर ठगी की कहानी रची और खुद के भाई, साले व पीडि़त के भाई सुरेंद्र को साजिश में शामिल किया। पीडि़तों को फंसाने के लिए आरोपियों ने खुद फर्जी वारंट तैयार कर खुद पीडि़त के खाते में नगदी डाली थी। पुलिस ने आरोपितों के कब्जे से कंप्यूटर, प्रिंटर, गैर जमानती वारंट सहित अहम दस्तावेज बरामद किए हैं। मास्टरमाइंड फरार है।


जानकारी के मुताबिक 28 सितम्बर 2025 को पीडि़त सुरेन्द्र पुत्र सुमन निवासी शिवधाम कॉलोनी गली नंबर 2 सुभाष नगर कोतवाली ज्वालापुर, हरिद्वार ने वादी के फोन पर नोटिफिकेशन भेजकर फर्जी पीडीएफ डाउनलोड कर पटेल नगर थाना देहरादून में सड़क दुर्घटना में मुकदमे में वारंट जारी होने का डर दिखाकर धोखाधड़ी से 26 जुलाई 2025 को 30000 ट्रांसफर करवाएं। जिसके संबंध में पीडि़त सुरेन्द्र ने कोतवाली ज्वालापुर में तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया था।


साइबर सैल ने त्वरित कार्यवाही करते हुए 05 अलग-अलग खातों में उक्त पेमेंट कुल 25000 होल्ड कराए गए। होल्ड किए खाताधारकों से पूछताछ करने पर पता चला कि उनके खाते में आई 5-5 हजार की धनराशि उक्त खाताधारकों द्वारा नहीं निकाली गई, बल्कि सुरेन्द्र से फोन पर संपर्क कर पैसे वापस करने की वात की गई व खाते में पैसे आने की ऑनलाइन, ऑफलाइन शिकायत भी दर्ज कराई गई।


पुलिस की जांच में प्रकाश में आया की पीडि़त कृष्णकांत का अच्छा परिचित है व उसके खिलाफ आरोप लगाए कि उनके साथ कृष्णकांत द्वारा धोखाधड़ी की गई थी। जिस संबंध में कृष्णकांत के खिलाफ विभिन्न थानों में धोखाधड़ी के अभियोग पंजीकृत कराए हैं व उत्तराखंड एसटीएफ द्वारा भी कोतवाली रानीपुर में कृष्णकांत के विरुद्ध धोखाधड़ी व कोतवाली मंगलौर द्वारा गैंगस्टर एक्ट में अभियोग वर्ष 2023 में पंजीकृत हैं।


पीडि़त सुरेन्द्र से पूछताछ करने पर उसने बताया कि वह वर्ष 2022 में दुष्कर्म के मामले में सिडकुल थाने से जेल गया, जहां उसकी मुलाकात कृष्णकांत के साथ हुई। कृष्णकांत ने ही जमानत कराने में सुरेन्द्र की मदद की थी। कृष्णकांत ने सुरेन्द्र को बताया कि जुरेश, आरजू, शेखर, रविना, राजू योगेश व किशन महात्यागी ने उसके व उसके परिवार के खिलाफ धोखाधड़ी के मुकदमे दर्ज करवा रखे हैं। मुझे इन सभी से बदला लेना है। सभी को किसी फर्जी मामले में लपेटकर जेल भिजवाना है।


कृष्णकांत ने सुरेंद्र को 5 लाख रुपए का लालच देकर अपने भाई डेविड व साले राहुल के साथ मिलकर उक्त सभी व्यक्तियों को साइबर फ्रॉड के मामले में फंसाकर जेल भिजवाने का प्लान बनाया। पुलिस के मुताबिक आरोपियों ने प्लान के तहत फर्जी वारंट तैयार कर सुरेन्द्र के खाते से आरोपियों के खाते में 5-5 हजार की धनराशि डालकर उनके लाफ साइबर फ्रॉड का मुकदमा दर्ज कराया था।


इस काम के लिए कृष्णकांत ने सुरेंद्र को अपने साले राहुल के माध्यम से 35000 नगद दिए थे व बैंक से फर्जी गैर जमानती वारंट बनाकर खाते में रुपये डाले थे। इस काम के बाद कृष्णकांत ने सुरेंद्र को ढाई लाख रुपये नगद दिए थे। पुलिस ने मास्टरमाइंड समेत तीन आरोपितों को गिरफ्ता कर लिया। पुलिस ने आरोपितों के पास से 50हजार नगदी, 03 मोबाइल फोन, यूपीएस, प्रिंटर, 02 फर्जी गैर जमानती वारंट, 6 पेमेंट डिटेल व अन्य अहम दस्तावेज बरामद किए हैं।

आरोपितों ने पूछताछ में अपने नाम पते सुरेंद्र पुत्र सुमन निवासी सताव आशिक थाना गुरुबक्शगज जिला रायबरेली उत्तर प्रदेश, हाल निवासी शिवधाम कॉलोनी गली नंबर 2 सुभाष नगर कोतवाली ज्वालापुर, हरिद्वार, डेविड पुत्र विनोद निवासी ग्राम नारसन खुर्द कोतवाली मंगलौर, हरिद्वार व राहुल पुत्र पवन निवासी ग्राम सुगरासा थाना पथरी जनपद हरिद्वार बताए गए हैं। डेविड के खिलाफ विभिन्न थानां में 6 व सुरेन्द्र के खिलाफ एक मुदकमा दर्ज है। पुलिस ने सभी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उनका चालान कर दिया है।

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