डीएम साहब इधर भी दो ध्यान, ब्लैकमेलर पत्रकारों के गैंग में सिंचाई विभाग के कर्मचारी भी शामिल!

हरिद्वार। इन दिनों तीर्थ नगरी हरिद्वार में भिखारी, ब्लैकमेलर व दलाल पत्रकारों का आतंक छाया हुआ है, जिस कारण से वास्तविक पत्रकारों की जहां छवि धूमिल हो रही है वहीं इनके आतंक से जनता त्राहि त्राहि कर रही है। मजेदार बात यह है कि ब्लैकमेलर पत्रकारों के गैंग में उत्तराखंड सरकार के प्रमुख विभागों के कुछ कर्मचारी भी शामिल हैं, जो ब्लैकमेलर पत्रकारों के साथ मिलकर जनता को बुरी तरह प्रताड़ित करने का कार्य कर रहे हैं।

बता दें कि विगत दिनों सिंचाई विभाग द्वारा एक व्यक्ति को नोटिस जारी किया गया, जिसको नोटिस जारी किया गया उसका किसी भी प्रकार से उत्तराखंड सिंचाई विभाग से कोई लेना-देना नहीं है। नोटिस देने से पूर्व कुछ कर्मचारी सिंचाई विभाग के अपनी दबंगई दिखाने के लिए ब्लैकमेलर पत्रकारों के साथ सांठ गांठ करके एक आश्रम पहुंचे। इससे पूर्व सिंचाई विभाग के कर्मचारियों के बीच फोन पर काफी लंबी व कई बार मंत्रणा भी हुई। अपने मकसद में कामयाब न होने के बाद सिंचाई विभाग के कर्मचारियों ने फर्जी नोटिस जारी कर दिया।

मजेदार बात यह है कि जिस संपत्ति से सिंचाई विभाग उत्तराखंड का कोई लेना-देना नहीं है, उसका मालिक बन करके कर्मचारियों ने ब्लैकमेलिंग का यह नंगा खेल रचा। इससे भी हास्यास्पद यह की नोटिस में नाम किसी और व्यक्ति का था, स्थान किसी और का और मोबाइल नंबर किसी और का। व्हाट्सएप पर मैसेज भेजने के बाद मामले को तूल पकड़ता देख कर्मचारियों ने नोटिस डिलीट कर दिया, किंतु नोटिस के डिलीट होने से पूर्व ही खेला तो हो चुका था।

नोटिस से पूर्व कर्मचारी अपने को ऐसे प्रस्तुत कर रहा था जैसे की रेणुका के पुत्र परशुराम ने जिस प्रकार पृथ्वी को 21 बार क्षत्रियों से विहीन किया था ठीक उसी प्रकार वह भ्रष्टाचार को मिटा देगा। बावजूद इसके रेणुका पुत्र कहे जाने वाले परशुराम की भांति अपने को पाक साफ दिखाने वाला यह सिंचाई विभाग का कर्मचारी टेबल पर बैठकर मामले को निपटने की बात करने पर भी आ गया।

लंबी चौड़ी फेंकने के बाद मामला बनता ना देख अपने गैंग के साथ वह चला गया, किंतु पत्रकारों और विभागीय गैंग के लोगों के बीच मामला बनता न देख काफी हलचल रही, जिसकी परिणति यह हुई की महाशय ने नोटिस जारी कर दिया।

अब इन महाशय को यह नहीं पता था कि उनके सारे दांव उल्टे पढ़ने वाले हैं। पहली बात तो यह की महाशय अपने गैंग के साथ कमरे में कैद हो गए, साथ ही अब ब्लैकमेलर पत्रकारों और इन परशुराम जैसे महान ब्लैकमेलर सिंचाई विभाग के कर्मचारियों की कॉल डिटेल भी निकली जा रही है। साथ ही इनके खिलाफ धोखाधड़ी करने और मानहानि करने का मुकदमा की दायर करने की तैयारी की जा चुकी है।

कहावत है ना कि हम तो डूबेंगे सनम तुमको भी साथ लेकर डूबेंगे। ठीक ऐसा ही अब इन सिंचाई विभाग के कर्मचारियों के साथ होने जा रहा है। एक तो जिन साथियों की टोली को लेकर यह आए थे वह तथा वह ब्लैकमेल पत्रकार जिनके द्वारा यह सारी साजिश रची गई वह भी अब कानून के शिकंजे में फंस चुके हैं।

उधर दूसरे की संपत्ति का मालिक बनकर जिस कर्मचारी ने दूसरे की संपत्ति पर अपना दावा दिखाकर नोटिस जारी किया है, वह विभाग भी इनको नोटिस जारी करने की तैयारी कर चुका है, कि आप किस प्रकार से इस संपत्ति के मालिक हैं और किस हैसियत से आपने नोटिस जारी किया है।

वैसे तो सरकार भ्रष्टाचार मुक्त शासन की बात करती है, किंतु इस सरकार के कर्मचारी किस प्रकार साजिश कर जनता को प्रताड़ित करने पर तुले हुए हैं। इसकी बानगी कर्मचारियों की कार्यशैली से सामने आई है।

डीएम साहब कृपया कर ऐसे कर्मचारियों के संबंध में भी एक्शन लें, जैसा कि लोग आपकी ईमानदारी के संबंध में चर्चा करते हैं। सिंचाई विभाग के इन ब्लैकमेलर कर्मचारियों और ब्लैकमेलर पत्रकारों के गैंग का पर्दाफाश होना जरूरी है, वरना यदि जनता में उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया तो सरकार की किरकिरी होना लाजमी है।

वैसे कर्मचारी और ब्लैकमेलर पत्रकारों का बचाना अब किसी भी कीमत पर मुमकिन नहीं है। कारण कि सीसीटीवी कैमरों में कैद इनकी करतूत, फोन कॉल, जारी किया फर्जी नोटिस इसके अलावा और बहुत कुछ जो इनको जेल की सलाखों के पीछे भेजने के लिए काफी है।

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