इजरायल की तरह हिन्दुआंे को भी बनाना चाहिए सनातन वैदिक राष्ट्र: नरसिंहानंद

सनातन वैदिक राष्ट्र की रूपरेखा बनाने के लिये 19 से 21 दिसम्बर को हरिद्वार में होगी धर्म संसद


हरिद्वार।
आनंद भैरव घाट श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े से शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर व श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने बांग्लादेश में चल रहे जघन्य हिन्दू नरसंहार पर तीव्र आक्रोश व्यक्त किया और भारत के हिन्दुओं से बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिन्दुआंे के हाल से शिक्षा लेने का आह्वान किया।


जूना अखाड़े के कोठारी श्रीमहंत महाकाल गिरी तथा अन्य संतों के साथ महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने कहा कि बांग्लादेश में आर्मी और पुलिस के साथ मिलकर मुस्लिम जनसमुदाय हिन्दुआंे का भीषण नरसंहार कर रहे हैं। इस्कॉन के निरपराध चिन्मय दास प्रभु को जेल में डालकर बांग्लादेश की सरकार ने सम्पूर्ण विश्व के हिन्दुआंे को उनकी औकात बताई है। अगर ऐसा किसी देश ने किसी यहूदी के साथ किया होता तो इजरायल उस देश पर अब तक आक्रमण कर चुका होता और उस यहूदी को बचाकर ले गया होता।


कहाकि अगर हम हिन्दुआंे के पास भी अपना कोई राष्ट्र होता तो पाकिस्तान और बांग्लादेश सहित किसी भी देश मंे हिन्दुआंे की दुर्गति ना हुई होती। हमने असीमित साधन और बलिदान आहूत करके श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर बनाया, परंतु यह श्रीराम मंदिर मुस्लिम जिहादियों की भीड़ के द्वारा उसी दिन तोड़ दिया जाएगा जिस दिन भारत का प्रधानमंत्री कोई मुसलमान बनेगा।


कहाकि मुस्लिमों की भयानक रूप से बढ़ती हुई आबादी को देखते हुए यह अब ज्यादा दिन की बात नहीं है। अगर श्रीराम मंदिर के स्थान पर यह आंदोलन अगर सनातन वैदिक राष्ट्र के लिये किया जाता तो हमे लव जिहाद, गौ रक्षा, श्रीकृष्ण जन्मभूमि, काशी विश्वनाथ या सम्भल के हरिहर मंदिर की चिंता नहीं करनी पड़ती, क्योकि ये तो सब हमें मिल ही जाता। लेकिन हमने छोटी बातों पर तो आंदोलन किये पर असली समस्या पर कभी आवाज ही नहीं उठाई और इस अभूतपूर्व दुर्गति को प्राप्त हुए।

कहाकि हमंे समझना चाहिये कि अब हिन्दुओं की यह अंतिम शरणस्थली भारतवर्ष बहुत तेजी से शरिया कानून की ओर चल दिया है, जहां ना तो कोई मंदिर बचेगा और ना कि कोई मंदिरों में पूजा करने वाला। इस विषय को ना तो कोई हिन्दू नेता उठा रहा है, ना ही कोई हिन्दू धर्मगुरु और ना ही कोई हिन्दू संगठन उठा रहा है। इस गम्भीर विषय को उठाने के लिये 19 से 21 दिसम्बर को आनन्द भैरव मंदिर जूना अखाड़े में तीन दिवसीय धर्म संसद का आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान जूना अखाड़े के सन्यासियों के साथ ही डॉ उदिता त्यागी और यति अभयानंद भी उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *