पश्चिम की अच्छी बात यह है कि पहले तो वह आपका मजाक उड़ायेंगे पर जैसे ही उन्हें समझ आ जाता है कि आपकी बात में दम है, वह आपकी बात को पूरी तरह से अपना कर उसकी ऐसी ब्रांडिंग कर देंगे सरल भाषा में की कल तक आपको जो करने में गंवारपन लगता था वह अब कूल लगता है।
जब आप लंबे समय के लिये उपवास करते हैं, उपवास अर्थात सरल भाषा में समझिए जीरो कैलोरी।
जल, नींबू पानी, आँवला पानी, ग्रीन टी, ब्लैक कॉफी पी सकते हैं। जूस, शुगर, फ्रूट कुछ नहीं। तो जब आप लम्बे समय के लिए उपवास करते हैं, तो आपके शरीर के अंदर सर्वाइवल ऑफ फिटेस्ट आरंभ होता है। मजबूत कोशिकायें कमजोर कोशिकाओं को खाने लगती हैं। शरीर अपनी ऊर्जा सुरक्षित रखने के लिए मृत कोशिकाओं का तुरंत उत्सर्जन करने लगता है। कुछ समय पश्चात जब आप भोजन करते हैं तो शरीर नई कोशिकायें बना देता है। इस तरीके से शरीर का नवीनीकरण हो जाता है।
विज्ञान की दृष्टि से यह प्रक्रिया ऑटोफैगी कहलायी। जापानी वैज्ञानिक योशिनोरी को इस खोज के लिए 2016 में नोबेल पुरुष्कार मिला। इसी का संक्षिप्त फॉर्म इंटरमिटेंट फास्टिंग भी है जो इस समय दुनिया के सभी डायटीशियन की रिकमेंडेशन लिस्ट में है।
यह व्रत, उपवास की प्रक्रिया हमें सदियों से उपलब्ध है। सनातन में आपने देखा होगा की ऋषियों, संन्यासियों के चेहरे पर अलग ही चमक रहती थी। वैज्ञानिक वजह यही है कि ऑटोफैगी से उनके शरीर की कमजोर कोशिकायें निष्कासित होती रहती हैं। चेहरे पर डेड सेल्स के रूप में झुर्रियाँ नहीं होतीं।
हमारे पूर्वज जो सप्ताह में एक बार मंगल व्रत, एकादशी व्रत आदि का प्रावधान बना गये हैं उसी का ही मॉडर्न अंग्रेजी रूप है इंटरमिटेंट फेस्टिंग। साल में दो बार नौ दिन उपवास, व्रत. यह है ऑटोफैगी। सम्भव हो तो व्रत, उपवास अवश्य रहें। स्वयं को अच्छा लगेगा। मनुष्य अपने शरीर को किसी भी परिस्थितियों में ढाल सकते हैं, तो सुबह खाना न खाने पर सर में दर्द होता है। यदि मेडिकल रीजन नहीं है तो अभ्यास से इस पर भी विजय पाई जा सकती है।
Dr. (Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
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