हरिद्वार। भारतीय प्राच्य विद्या सोसाइटी कनखल के संस्थापक डा. पं. प्रतीक मिश्रपुरी (Pt. Pratik Mishrapuri) ने बताया कि 29 मई को वट सावित्री व्रत मनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि अमावस्या 30 मई को है, परंतु यह व्रत तभी पुण्यप्रद होता है जब अमावस्या और चतुर्थी दोनों तिथियों का मिलन हो रहा हो। ये स्थिति 29 को ही होगी क्योंकि इसी दिन ही चतुर्थी 3 बजे दोपहर तक होगी। इसके बाद अमावस्या होगी, जबकि 30 मई को पूरे दिन अमावस्या होगी। इसलिए इसी 29 मई को वट सावित्री व्रत होगा। Pt. Pratik Mishrapuri ने बताया कि 30 मई को अमावस्या के साथ सोमवार भी है। जिस कारण से 30 मई को सोमवती अमावस्या होगी। Pt. Pratik Mishrapuri ने बताया कि ज्येष्ठ मास की सोमवती व कार्तिक मास की सोमवती बहुत ही पुण्यप्रद होती है। यदि यह सूर्य या चंद्र के नक्षत्र में हो, ये विशेष होगा। इस बार जब 30 मई को सूर्य नक्षत्र कृतिका भी होगा तथा चंद्र नक्षत्र रोहिणी भी होगा। इस दिन ही शनि देव का जन्म दिन भी मान्य होता है। इसी दिन शनि का जन्म दिन भी होगा। Pt. Pratik Mishrapuri ने बताया कि इस दिन पीपल के वृक्ष की सात परिक्रमा जल धारा से लगाने से शनि का दूषित प्रभाव समाप्त हो जाता है। Pt. Pratik Mishrapuri ने बताया कि इसी दिन यदि भगवान विष्णु-लक्ष्मी के निमित्त सूत के साथ परिक्रमा को जाए तो लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। जीवन भर अन्न जल से घर भरा रहता है। उन्होंने बताया कि सोमवती व भावुका अमावस्या दोनो एक ही दिन होगी। बताया कि इस दिन लोग भैरव की तंत्र साधना भी करते है।

अमावस्या 30 को वट सावित्री पूजन 29 को श्रेयस्करः मिश्रपुरी


