प्रयागराज। महाकुंभ के तीसरे और आखिरी अमृत स्नान वसंत पंचमी पर संगम के तट पर आस्था का जन सैलाब उमड़़ा। रात्रि 12 बजे के बाद से ही श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी में डुबकी लगानी शुरू कर दी। भोर में चार बजे के बाद श्रद्धालुओं की संख्या काफी बढ़ गयी। हर हर महादेव और हर हर गंगे के उद्घोष के साथ भक्तों ने पुण्य की डुबकी लगाई और मनवांछित फल की कामना की।
सुबह पौने सात बजे से हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा शुरू हो गई। जूना अखाड़े के अमृत स्नान के दौरान अमृत वर्षा शुरू हुई। इसके बाद हर आधे और एक घंटे पर श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से फूल बरसाए जाते रहे।
सबसे पहले श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने अपने सहयोगी अटल अखाड़े के साथ स्नान किया। उसके बाद निरंजनी ने आनन्द अखाड़े के साथ तथा जूना अखाड़े ने अग्नि व आवाह्न अखाड़े के साथ क्रम से स्नान किया।
संन्यासी अखाड़ों द्वारा स्नान करने के बाद उदासीन फिर बैरागी और अंत में निर्मल अखाड़े ने स्नान किया।
पूरी रात अखाड़ों की ओर से शाही स्नान की तैयारी की जाती रही। रथों और बग्घियों को सजाकर अखाड़ों के महामंडलेश्वर और संत अमृत स्नान के लिए रवाना हुए। साढ़े चार बजे अखाड़ों ने स्नान शुरू कर दिया। गाजे बाजे के साथ भाला, तलवार और गदा के साथ प्रदर्शन करते हुए अखाड़े संगम तट पर पहुंचे। अखाड़ों के संतों को देखने के लिए अखाड़ा मार्ग के दोनों किनारों पर भक्तों की भारी भीड़ रही।