शरद ऋतु में, शक्तिवर्धक आहार में उड़द के लड्डू का विशेष स्थान है। अक्सर लोग अपनी नासमझी और नादानियों के चलते शारीरिक शक्ति खो देते हैं, यहां तक उनका अपने शरीर, मन और मस्तिष्क पर कंट्रोल नहीं रहता। ऐसे समय में आर्युवेद की कुछ चीजें आपके लिए बेहद काम आती है। आज हम आपको एक ऐसी ही पौष्टिक व शक्तिदायक लड्डू के विषय में बता रहे हैं। जिसे पुराने जमाने में राजा, महाराजा शक्ति पाने के लिए, सेवन करते थे।
सामग्री
छिलका रहित उड़द की दाल 1 किलो, देशी घी 1 किलो, बुरा 1.5 किलो, बादाम 200 ग्राम, बबूल का गोंद, असगंध, चोबचीनी, सुरंजन, अकरकरा व शतावरी। ये सभी 100-100 ग्राम।
निर्माण विधि
सर्वप्रथम उड़द की दाल साफ कर, 3 से 4 घंटे के लिए, पानी में भिगो दीजिए। भिगने के बाद दाल को हल्का मोटा पीस लें और कढ़ाई में देसी घी में लगातार चमचे से चलाते हुए भून लें। दाल को भूरा होने तक भूनना हैं। अब दाल में बूरा मिला लें। इसके बाद बबूल के गोंद को भून लें। भूने गोंद को हाध से मसल कर चूरा बना लें। बादमों को बारीक कतर लें। अब शेष औषध का भी बारीक चूर्ण कूट पीसकर व छानकर इन सभी सामग्री को दाल व बूरे के साथ मिला दें। अब लड्डू बनने के लिए, मिश्रण तैयार हो गया है। मिश्रण को हाथ में लेकर छोटे-छोटे लड्डू बना लीजिए। जब ये लड्डू सूख जाएं तो इन सभी लड्डुओं को वायुरोधक कंटेनर में भर कर रख लें।
सेवन
नित्य, सुबह भूखे पेट, एक लड्डू खाकर दूध पीने से शरीर की हर प्रकार की कमजोरी दूर हो जाती है। साथ ही शरीर के साथ-साथ दिमाग को भी ठंडक मिलती है। जिससे दिमाग तेज होता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।