गले में मौजूद थायराइड ग्रंथि थायराक्सिन हार्मोन का निर्माण करती है।
इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है क्योंकि इसके लक्षण दिखाई नहीं पड़ते।
वर्तमान में ज्यादातर लोग तनाव और अवसाद का शिकार हो रहे हैं।
केमिकलयुक्त प्रदूषण और हार्मोन में बदलाव के कारण भी बढ़ रही समस्या।
थायरायड ग्रंथि तितली के आकार की ग्रंथि है जो मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करती है।
यह ग्रंथि गले के अंदर होती है और पिट्यूट्री ग्रंथि जो मस्तिष्क में स्थित होती है, इसके द्वारा नियमित की जाती है।
यह ग्रंथि दो हार्मोन टी- 3 (T-3), ट्राईआयोडोथायरोनिन
और टी-4 (T-4), थायरोक्सिन नामक हार्मोन का उत्पादन करती है।
इन हार्मोन्स के अनियमित होने से कई समस्यायें होने लगती हैं।
थायराइड दो तरह का होता है…
ओवरएक्टिव (हाइपर) या अण्डरएक्टिव (हाइपो) थायराइड।
अमेरिका के कोलम्बिया मेडिकल सेंटर की मानें तो हर साल करीब 20 लाख लोग इस बीमारी से प्रभावित होते हैं।
पुरुषों की तुलना में 35 साल की महिलाओं में इस बीमारी के होने की संभावना 30 प्रतिशत अधिक होती है।
इस लेख में विस्तार से जानते हैं वर्तमान में यह बीमारी सामान्य क्यों हो गई है.?
तनाव के कारण…
वर्तमान में अगर युवा पीढ़ी किसी समस्या से सबसे अधिक ग्रस्त है तो वह है तनाव।
कुछ अलग करने और नया मुकाम पाने की चाहत के कारण युवा घंटों काम करते हैं, इसके कारण तनाव उनका सबसे अच्छा साथी हो जाता है।
तनाव का असर सीधे थायराइड ग्रंथि पर पड़ता है।
शोधों में भी ये बात साबित हो चुका है कि तनाव थायरॉयड ग्रंथि से निकलने वाले थायरॉक्सिन हार्मोन के स्राव को नियंत्रित करने की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
ऐसे में अधिक तनाव होने पर इस हार्मोंस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
तनाव के कारण हार्मोंस का स्तर तेजी से बढ़ने लगता हैं।
तनाव के कारण पुरुषों में प्राइमरी हाइपोथायराइडिज्म की समस्या होने लगती हैं। इससे रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है और हार्मोनल ग्रंथि काम करना बंद कर देती है।
प्रदूषण के कारण
प्रदूषण का असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है और इसके कारण श्वांस संबंधी कई बीमारियां होने लगती हैं।
प्रदूषण वर्तमान की खतरनाक समस्याओं में से एक हो गया है।
भारत में इसकी हालत और अधिक खराब है, क्योंकि दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर दिल्ली ही है।
प्रदूषण के कारण हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर थायराइड ग्रंथि को भी नुकसान पहुंचाते हैं।
अमेरिकन थायराइड एसोसिएशन ने इसपर शोध भी किया। इस शोध में यह साबित हुआ कि कल-कारखानों से निकलने वाला प्रदूषण शरीर के इंडोक्राइन सिस्टम को क्षतिग्रस्त कर देता है और इसका सीधार असर हार्मोन पर पड़ता है, इसी से थायराइड ग्रंथि प्रभावित होती है।
हार्मोन असंतुलन के कारण..
थायराइड की समस्या हार्मोन के अंसुतलन के कारण होती है।
क्योंकि थायराइड ग्रंथि का प्रमुख काम हार्मोन का निर्माण करना होता है।
शरीर के अधिवृक्क ब्लड शुगर को नियंत्रित करने वाले हार्मोन बनाते हैं।
तनाव और अनियमित जीवनशैली इसको प्रभावित करती है।
इससे थायराइड ग्रंथि प्रभावित होती है जिसका नतीजा हाइपरथाइरोडिज्म होता है।
इसके लिए जिम्मेदार कारण हैं –
पोषण की कमी,
व्यायाम न करना,
गलत डायट,
अनियमित दिनचर्या आदि।
महिलाओं और पुरुषों में हार्मोन असंतुलन के अलग-अलग प्रभाव होते हैं।
एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और और प्रोलैक्टिन हार्मोन पुरुषों के शरीर में भी उत्पादित होते हैं।
इन सभी हार्मोन में टेस्टोस्टेरोन पुरुषों के शरीर में मौजूद सबसे महत्वपूर्ण हार्मोन में से एक है।
इसके अलावा आयोडीन की कमी, सेलेनियम की कमी, फ्लोराइड युक्त पानी और आजकल के आहार में बहुतायत में प्रयोग होने वाले सोया उत्पाद के कारण थायराइड की समस्या होती है।
एलोपैथी में तो जीवनभर कंट्रोल करने का उपाय है किंतु परम्परागत, प्राकृतिक, घरेलू या आयुर्वेदिक पद्धति से इसका निदान सम्भव है।
हमारी फार्मेसी द्वारा निर्मित थायो एक्सपर्ट, गंडमाला कंडन रस और कांचनार गूगल तीनों का लगातार सेवन से थायराइड ग्रंथि एक्टिवेट होता है एवं बहुत से मरीजों की थायराइड की दवा छूट गई
जड़ से खत्म होगा थायराइड…
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थायराइड गले की ग्रंथि होती है, जिससे थायरोक्सिन हार्मोन बनता है। इस हार्मोन का संतुलन जब बिगड़ने लगता है, तब ये एक गंभीर रोग की शक्ल ले लेता है।
ये हार्मोन जब कम होता है तो शरीर का मेटाबॉलिज्म काफी तेज होने लगता है और शरीर की ऊर्जा जल्दी कम होने लगती है।
जब ये हार्मोन अधिक हो जाए तो मेटाबॉलिज्म रेट काफी धीरे होने लगता है, जिस वजह से शरीर में ऊर्जा कम बनती है और सुस्ती, थकान बढ़ने लगती है। ये रोग 55% महिलाओं में अधिक होता है।
थायराइड दो तरह का होता है – हाइपोथायराइड और हाइपरथायराइड
हाइपर थाइरोइड होने पर शरीर में थायराइड हार्मोंस कम होने लगते है और हाइपोथायराइड में हार्मोंस बढ़ने लगते है।
इसके उपचार के लिए लोग कई प्रकार की दवा का सेवन भी करते है।
लेकिन यदि आप थायराइड जड़ से खत्म करना चाहते है तो प्रकृति में इसका सटीक उपाए उपलब्ध है।
हाइपर थायराइड के लक्षण–
वजन कम होना, हार्ट बीट तेज होना, पसीना ज्यादा आना, हाथ और पैरों में कपकपी होना आदि हैं।
हाइपो थायराइड के लक्षण-
वजन बढ़ना, क़ब्ज़ रहना, भूख कम लगना, स्किन रूखी होना, ठंड जादा लगना, आवाज़ में भारीपन आना, आँखो और चेहरे पर सूजन, सिर, गर्दन और जोड़ों में दर्द होना
थायराइड होने का कारण-
अधिक तनाव लेने से भी थायराइड ग्रंथि पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
भोजन में आयोडीन कम या ज्यादा प्रयोग करने से भी थाइरोइड की समस्या हो जाती है।
परिवार में अगर किसी को थाइरोइड हो तो दूसरे सदस्यों को भी थाइरोइड होने की संभावना बढ़ जाती है।
प्रेगनेंसी के समय शरीर में हारमोन में बदलाव आते है, गर्भवती महिला को थाइरोइड होने की संभावना अधिक होती है।
प्रोटीन पाउडर, सप्लीमेंट्स या कैप्सूल के रूप में सोया के प्रोडक्ट्स के अधिक सेवन से थायराइड होने की संभावना बढ़ती है।
प्रदूषण का बुरा असर हमारी हेल्थ पर पड़ता है जिस वजह से साँस के रोग हो जाते है। प्रदूषण से हवा में मौजूद जहरीले कण थाइरोइड ग्रंथि को भी नुकसान करते है।
प्राकृतिक चिकित्सा में थाइरोइड का इलाज…
हल्दी दूध:
थायराइड कण्ट्रोल करने के लिए आप रोजाना दूध में हल्दी को पका कर पिए। अगर हल्दी वाला दूध न पिया जाये तो हल्दी को भून कर इसका सेवन करे।
तुलसी और एलोवेरा:
दो चम्मच तुलसी के रस में आधा चम्मच एलोवेरा जूस मिला कर सेवन करना भी इस बीमारी से छुटकारा पाने का उत्तम उपाय है।
लाल प्याज:
प्याज को बीच से काट कर दो टुकड़े कर ले और रात को सोने से पहले थायराइड ग्रंथि के आस पास मसाज करे। इसके बाद गर्दन से प्याज का रस को धोये नहीं।
हरा धनिया:
थायराइड का घरेलू ट्रीटमेंट करने के लिए हरा धनिया पीस कर चटनी बनाये और एक गिलास पानी में एक 1 चम्मच चटनी घोल कर पिए।
इस उपाय को जब भी करे ताजी चटनी बना कर ही सेवन करे। ऐसा धनिया ले जिसकी सुगंध अच्छी हो।
इस देसी नुस्खे को नियमित रूप और सही तरीके से करने पर थायराइड कंट्रोल में रहेगा।
लौकी का जूस:
रोजाना सुबह खली पेट लौकी का जूस पिने से भी थाइरोइड खत्म करने में मदद मिलती है। जूस पीने के आधे घंटे तक कुछ खाये पिए नहीं।
बादाम और अखरोट:
बादाम और अखरोट में सेलीनीयम तत्व मौजूद होता है जो थायराइड के इलाज में फायदा करता है। इस के सेवन से गले की सूजन से भी आराम मिलता है।
हाइपोथायराइड में ये उपाय ज्यादा फायदा करते हैं…
अश्वगंधा:
रात को सोते वक़्त एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण गाय के गुनगुने दूध के साथ सेवन करे। लम्बाई बढ़ाने के लिए ये है आयुर्वेद का अचूक नुस्खा, हर उम्र में होगा कारगर
काली मिर्च:
काली मिर्च थायराइड का उपचार में काफी फयदेमंद है। किसी भी तरीके से ले।
निम्बू की पत्तियों का सेवन..
थायराइड को नियमित करता है, इसका सेवन करने से थाइरोक्सिन के अत्यधिक मात्रा में बनने पर रोक लगती है और इसकी पत्तियों की चाय भी बनाकर पी जाती है।
Dr. (Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
Kankhal Hardwar aapdeepak.hdr@gmail.com
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