हरिद्वार। माघ शुक्ल पंचमी विक्रमी संवत 1825 को बाबा बनखंडी ने सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए जिस श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन कनखल की स्थापना की थी, वही आज अपने सिद्धांतों से दूर होता दिखाई दे रहा है। एकता का संदेश देने वाले बाबा बनखंडी द्वारा स्थापित अखाड़े में आज संत ही संत के सामने विरोध में खड़े हो चुके हैं। मामला आपसी तू-तू, मैं-मैं के साथ न्यायालय तब जा पहुंचा है। कुछ संत तो अब अपनी जान-माल की सुरक्षा की गुहार भी लगाने लगे हैं। संतों के दो गुट अखाड़े में हो रही अव्यवस्थाओं और बाहरी तत्वों के हस्तक्षेप के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं।
बता दें कि बाबा बनखंडी वे तपस्वी संत थे, जिन्होंने कुंभ के दौरान नागा संन्यासियों को भी अपने कदम पीछे करने पर मजबूर कर दिया था। बताते हैं कि उस समय कुंभ के दौरान बाबा बनखंडी नागा संन्यासियों से पहले शाही स्नान के दौरान गंगा स्नान करने लगे थे। जिसका नागा संन्यासियों ने विरोध किया। विरोध शक्ति प्रदर्शन तक जा पहुंचा। जिसमें बाबा बनखंडी ने नागा संन्यासियों के समक्ष शर्त रखी की वे यदि भस्म लगाने के बाद स्नान करते हुए विरोध करने वाले किसी नागा साधु की भस्म यदि शरीर से नहीं हटी तो वे बिना स्नान किए बिना ही चले जाएंगे। इसके बाद बाबा बनख्ंांड़ी ने गंगा में डुबकी लगाई, तो नागा संन्यासी उन्हें पकड़ने के लिए गंगा में उतरे। बताते हैं कि इसी दौरान बाबा की जटाएं सांप के रूप में परिवर्तित हो गई और सांप साधुओं की ओर भागने लगे साथ ही बाबा के शरीर की भस्म स्नान के बाद भी शरीर पर जस की तस रही। यह मंजर देख साधु भाग खड़े हुए, जिसके बाद उन्होंने कनखल में अखाड़े की स्थापना की। ऐसे तपस्वी संत की तपोभूमि आज रण का मैदान बन चुकी है।
अखाड़े में हो चुके संतों के दो गुट एक-दूसरे पर अखाड़े की सम्पत्तियों को खुर्दबुर्द करने, बाहरी लोगों का हस्तक्षेप होने व व्यभिचार के आरोप लगा रहे हैं। साथ ही दोनों गुट अपने को पाक-साफ बताते हुए एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने में लगे हुए हैं। हालात यह हो चुके हैं कि कुछ संत स्वंय न बोलते हुए अपनी-अपनी पंगतों के कुछ तथा कथित संतों को आगे कर बयानबाजी करवाने में लगे हुए हैं। जिससे संतों के साथ अखाड़े की छवि को नुकसान पहुंच रहा है।
मजेदार बात यह कि आज दोनों ही पक्ष सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं, जबकि पूर्व में कोठारी मोहन दास के रहस्यमय तरीके से 16 सितम्बर 2017 को अचानक गायब हो जाने के बाद मामले के तूल पकड़ने पर मुख्यमंत्री ने स्वंय सीबीआई जांच की संस्तुति की बात कही थी, किन्तु अखाड़े के कुछ संतों ंने जांच करवाने की बात को सिरे से मना कर दिया था। अब फिर से दूसरा गुट मोहन दास मामले की सीबीआई जांच की मांग करने लगा है। जिससे दाल में कुछ काला नजर आ रहा है।
जिस प्रकार से संतों के दो गुटों के बीच तलवारें ख्ंिाच चुकी हैं, उसको देखते हुए कभी भी कोई बड़ी घटना हो जाए इससे इंकार नहीं किया जा सकता। कारण की सम्पत्ति को लेकर कई संतों की तीर्थनगरी में हत्याएं तक हो चुकी हैं।