हरिद्वार। निष्काम सेवा ट्रस्ट भूपतवाला में श्री धाम वृंदावन के आचार्य संजीव कृष्ण ठाकुर द्वारा चल रही श्रीमद् भागवत कथा के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए श्री पंचदश नाम जूना अखाड़ा के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी यतीन्द्रानन्द गिरि महाराज ने कहा कि कलयुग में श्रीमद् भागवत भक्ति और मुक्ति दोनों का ग्रंथ है। भागवत का प्राकट्य भी हरिद्वार की पवित्र भूमि पर ही हुआ। सर्वप्रथम हरिद्वार के आनंद वन क्षेत्र में सनकादिक ऋषियों के द्वारा नारद जी को भागवत सुनाई गई थी।
महामंडलेश्वर ने कहा हरिद्वार मोक्षदायिनी पुरी है। पवित्र गंगा नदी का तट है। यहां से हरि और हर दोनों के धाम का प्रवेश द्वार है। हरिद्वार की पवित्रता श्रद्धालु भक्तों को रखनी चाहिए। हरिद्वार में पर्यटन की भावना से ना आकर तीर्थ की भावना से आना चाहिए। हरिद्वार आने का महात्म्य है की गंगा किनारे आकर अपने पर परंपरागत पारिवारिक पंडा पुजारी के द्वारा अपने पूर्वजों के लिए तर्पण कराया जाए तथा साधु-संत, ब्राह्मणों की विधिवत सेवा की जाए और गंगा के किनारे बैठकर कुछ देर ध्यान और जप किया जाए।
स्वामी यतीन्द्रानन्द ने केदारनाथ और बद्रीनाथ आदि तीर्थ पर कॉरिडोर के नाम पर चल रहे निर्माण का भी विरोध किया। उन्होंने कहा कि इससे इन पवित्र अति दुर्लभ स्थलों की पावनता समाप्त हो जाएगी।
महामंडलेश्वर यतींद्रानंद गिरी ने मांग की कि तीर्थाटन और पर्यटन अलग-अलग मंत्रालय बनने चाहिए। पवित्र तीर्थ स्थल तीर्थाटन में आने चाहिए तथा इन स्थलों पर जाने वाले श्रद्धालु भक्त जनों के लिए भी एक आचार्य संहिता नियमावली बनानी चाहिए।
स्वामी यतीन्द्रानन्द ने कहाकि हरिद्वार कुंभ मेला क्षेत्र की सीमा गुरुकुल नारसन बॉर्डर से लेकर नजीबाबाद रोड उत्तराखंड बॉर्डर तक बढ़नी चाहिए, क्योंकि अधिकतर कुंभ मेला क्षेत्र अब इधर ही विस्तारित हो सकेगा।
महामंडलेश्वर ने चिंता व्यक्त की कि सनातन हिंदू धर्मावलम्बियों के लिए संरक्षित पवित्र हरिद्वार तीर्थ क्षेत्र में अन्य धर्मावलम्बी भी बड़ी संख्या में व्यापार के नाते प्रवेश कर गए हैं तथा आसंवैधानिक रूप से हरिद्वार नगर निगम क्षेत्र में रह रहे है।ं विशेष कर सरकारी जमीनों पर अनधिकृत कब्जा करके उन्होंने घर बना लिए ह।ैं सरकार को चाहिए इस पर ध्यान दें तथा उनका हरिद्वार की सीमा से बाहर करें।