हरिद्वार। सार्वजनिक क्षेत्र के नवरत्नों में शुमार भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) रानीपुर हरिद्वार द्वारा वैश्विक वायरस कोविड 19 महामारी की दूसरी वेब में आक्सीजन के अभाव में जिंदगियां जाने लगीं तो बीएचईएल प्रबंधन ने जीवन बचाने के लिए आक्सीजन बनाने का बहुत बड़ा काम शुरू किया।
बीएचईएल अपने लिए इंडस्ट्रीएल आक्सीजन तो बनाता है इसके लिए उसका आक्सीजन प्लांट है लेकिन जीवन बचाने के लिए आक्सीजन बनाना न तो उसका काम है और न प्लांट। इसके बावजूद उसनेे जुगाड़ से ही सही जीवन बचाने के लिए आक्सीजन बनाना शुरू किया और लोगों को मुफ्त में दी।
बीएचईएल के लिए यह करना इसलिए संभव हुआ कि वह भारत सरकार का पब्लिक सेक्टर का नवरत्न है। किसी निजी क्षेत्र के उद्योगपति का नहीं है। यदि कोई निजी क्षेत्र का उद्योगपति होता तो और काम छोड़ आक्सीजन ही बनाता और बेचकर मुनाफा कमाता। लेकिन बीएचईएल ने काम नहीं होते हुए भी आक्सीजन बनानी और मुफ्त बांटनी शुरू की।
इसी को देखते हुए बीएचईएल की तरह इंडियन ड्रंगस फार्मास्युटिकल लिमिटेड (आईडीपीएल) ऋषिकेश चल रहा होता तो हमें कोविड 19 महामारी से जीवन रक्षक दवाओं के अभाव में दम तोड़ते नहीं देखना पड़ता। बीएचईएल की तरह वह भी आवश्यक दवाई बना रहा होता और जीवन बचा रहा होता और हम गर्व कर रहे होते हमारे पास बीएचईएल भी है और आईडीपीएल भी है।
सब जानते हैं कि देश के इस तथा इस जैसे अन्य दवा उद्योग को 90 के दशक में शुरू हुई वैश्विक नव उदारवाद की नीति के चलते बीमार हो जाने दिया गया। इसके लिए विदेशी फार्मा का भारत के बाजार पर कब्जे का दबाव था। प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने आईडीपीएल को पुनर्जीवित करने की दवा उद्योग की यूनियनों तथा वामपंथी दलों की मांग को सैद्धांतिक रूप से मान भी लिया था। रिवाइवल के लिए फंड देने की बात भी मान ली गई थी। बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों के दबाव में वह फंड नहीं पाए। छंटनी तथा बीआरएस लेने के चलते मजदूरों, कर्मचारियों का आंदोलन भी बिखर गया। सड़क पर आंदोलन रहता तो बाजपेई जी पर वायदा पूरा करने का दबाव पड़ता। यह इसलिए भी संभव था क्योंकि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी भी आईडीपीएल को पुनर्जीवित करने के पक्ष में थे लेकिन वह कांग्रेस की नीति के खिलाफ नहीं जाना चाहते थे।वह चाहते थे कि नीचे से आवाज उठे तो राज्य सरकार के स्तर से उसको पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जा सकता है। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया क्योंकि संघर्ष करने वाले श्रमिक अनिश्चितता की स्थिति में बीआरएस लेकर जा चुके थे और बाहर जनता की बीच आईडीपीएल बचाने का आंदोलन था नहीं। मेरा मानना है कि कोविड-19 महामारी के साथ पैदा हो रही ब्लैक फंगस, येलो फंगस तथा बच्चों के लिए आ रही तीसरी वेब जैसी जानलेवा महामारी के मद्देनजर आईडीपीएल को पुनर्जीवित करने की आवाज उठाई जानी चाहिए। राज्य सरकार पर इसको पुनर्जीवित करने का दबाव डाला जाना चाहिए। सरकार इसके लिए राज्य के लोगों से भी फंड देने की अपील कर सकती है। उत्तराखंड क्रांति दल के अध्यक्ष दिवाकर भट्ट, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव कामरेड राजेंद्र नेगी, सीपीआई के सचिव समय भंडारी, भाकपा माले के सचिव इंद्रेश मैखुरी सहित राज्य की लोकतांत्रिक आंदोलनकारी शक्तियों को एकजुट होकर राज्य तथा देशहित में इस पर संयुक्त रूप से प्रयास करना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी इसमें सहयोग कर सकते हैं। हर काम समय होता है और मैं समझता हूं आईडीपीएल को पुनर्जीवित करने पर जनता को एकजुट किया जा सकता है। उत्तराखंड क्रांति दल को इसकी सक्रिय पहल करनी चाहिए।

आईडीपीएल को पुनर्जीवित करे सरकारः रतन मणि


