निशंक बोले, वे हिमालयी क्षेत्रों में बड़ी परियोजनाओं के पक्षधर नहीं

हरिद्वार। जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव और घरों में आ रही दरारों को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि वे व्यक्तिगत तौर पर हिमालयी क्षेत्रों में बड़ी परियोजनाओं के पक्षधर नहीं हैं। रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि हिमालय बहुत युवा है। जिसके कारण ये बहुत संवेदनशील है। उत्तराखंड में अन्य कई जिलों में भी इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने कहा इन जगहों पर भू सर्वेक्षण होना जरूरी है।


पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि इस कठिन घड़ी में राज्य सरकार पूरी तरह से जोशीमठ के लोगों के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा राज्य सरकार लगातार हालात पर नजर बनाये हुए है। जोशीमठ के हालातों के लेकर आज राजधानी देहरादून में सीएम धामी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय बैठक हो रही है। साथ ही शनिवार को सीएम धामी भी जोशीमठ का दौरा करेंगे।


बता दें कि जोशीमठ शहर को लेकर इस वक्त हर तरफ चिंता है। उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट सिनोप्सिस की रिपोर्ट के अनुसार, जोशीमठ में 500 से ज्यादा घर रहने के लायक नहीं हैं। पीएमओ भी लगातार इस मामले की निगरानी कर रहा है। इस सबके बीच जोशीमठ से 38 परिवारों को शिफ्ट किया गया है। लोग अपने घर छोड़कर रैन बसेरों में रहने को मजबूर हैं। सर्द रातों में अपने बच्चों को लेकर रैन बसेरों में रह रहे लोग निराश और हताश हैं। हालातों का जायजा लेने के लिए शनिवार को सीएम धामी भी जोशीमठ का दौरा करेंगे।


जोशीमठ में भू-धंसाव को देखते हुए जिला प्रशासन ने हेलंग बाईपास और एनटीपीसी तपोवन विष्णुगाड़ जल विद्युत परियोजना के निर्माण कार्यों पर भी रोक लगा दी है। यह रोक अग्रिम आदेशों तक जारी रहेगी। जोशीमठ में भू-धंसाव को देखते हुए गढ़वाल आयुक्त सुशील कुमार, आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा सहित विशेषज्ञों की टीम ने प्रभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण भी किया।

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