परवल उत्तर भारत के मैदानी प्रदेशों में आसाम, पूर्व बंगाल में पाया जाता है। इसकी दो प्रजातियां होती हैं ।
1ः- पटोल
2ः- कटु पटोल
मधुर परवल का प्रायः शाक बनाया जाता है व कड़वे परवल का प्रयोग औषधि कार्य के लिए किया जाता है।
परवल में प्रोटीन, वसा, खनिज, लवण, कार्बोहाइड्रेट निकोटिनिक अम्ल, राइबोफ्लेविन, विटामिन सी, थायमिन तथा ट्राइकोजेंथिन पाया जाता है। परवल की सब्जी खाने से भोजन पचाने की क्रिया बढ़ जाती है। इसके प्रयोग से पित्तज्वर, पुराना बुखार, पीलिया व पेट के रोग दूर होते हैं।
विभिन्न रोगों का परवल से उपचार
1ः- परवल की सब्जी को घी में पकाकर खाने से आँखों की बीमारियों में लाभ होता है।
2ः- पांच मिली परवल के पत्तों के रस में शहद मिलाकर पीने से रक्तपित्त में लाभ होता है।
3ः- परवल की सब्जी खाने से खाज-खुजली तथा कोढ़ का रोग दूर होता है।
4ः- परवल की हरी पत्तियों का रस 2 चम्मच की मात्रा में पीने से जलोदर (पेट में पानी की अधिकता) में लाभ होता है।
5ः- परवल पाचक,हृदय के लिए हितकारी, हल्का, पाचन शक्ति बढ़ाने वाला तथा गर्म है। यह खांसी, बुखार, कृमि तथा त्रिदोषनाशक है।
Dr.(Vaid) Deepak Kumar*
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
Kankhal Hardwar
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