जगजीतपुर की भूमि हाथ में न आने पर रचा विवाद का षडयंत्र
हरिद्वार। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन में चार संतों के निष्कासन के बाद आरोप-प्रत्यारोप का एक-दूसरे पर सिलसिला जारी है। दोनों ही गुट अपने को पाक साफ बताने में लगे हुए हैं। मामला कुछ ओर नहीं केवल सम्पत्ति से जुड़ा हुआ है।
बता दें कि बीते रोज पत्रकार वार्ता कर अखाड़े के मुखिया महंत शहर के दो भाजपा नेताओं पर अखाड़े में अनैतिक हस्तक्षेप का आरोप लगा चुके हैं। जबकि संतों का कहना है कि ऐसे नेताओं के मंसूबों को किसी भी कीमत पर पूरा नहीं होने दिया जाएगा।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मामला अखाड़े की दो सम्पत्तियों से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है।
एक सम्पत्ति जो की हैदाराबाद में स्थित है, उस पर नेताओं की गिद्ध दृष्टि बतायी गई है। जबकि दूसरी सम्पत्ति कनखल स्थित जगजीतपुर में है, जिसे माफिया व नेता मिलकर खुर्द-बुर्द करना चाह रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि विगत वर्ष हैदाराबाद में अखाड़े की परम्परा से जुड़ी एक सम्पत्ति का वहां के महंतों ने मुकद्मा जीता था, जिसकी कीमत करीब 20 हजार करोड़ रुपये बतायी जा रही है। अखाड़ा सूत्रों की माने तो कुछ लोग हरिद्वार में बैठकर उस सम्पत्ति पर ही अपनी निगाह गढ़ाए हुए थे। उसकी कीमत 20 हजार करोड़ रुपये सुनते ही इनकी आंखें चौधया गई। इस सम्पत्ति को खुर्द बुर्द करने की मंशा पाले इन लोगों ने अखाड़े में षडयंत्र रचा और विवाद उत्पन्न करवाया। अखाड़ा सूत्रों के मुताबिक जिस 20 हजार करोड़ की सम्पत्ति पर इन लोगांे की निगाहें हैं वह सम्पत्ति स्वतंत्र है। वह प्राईवेट मठ है। अखाड़े की परम्परा से जुड़ा अवश्य है, किन्तु अखाड़े से उसका कोई लेना-देना नहीं है। वहां नियुक्त मंहतों की अपनी स्वतंत्र व्यवस्था है और वे स्वतंत्र कार्य करते हैं। जबकि नेता व माफिया समझ बैठे थे की वह सम्पत्ति भी अखाड़े के कब्जे में है और अखाड़े के कुछ लोगों को बरगला कर वहां भी सम्पत्ति की आड़ में अपने वारे-न्यारे किए जाएं।
वहीं दूसरी ओर कनखल जगजीतपुर स्थित पेट्रोल पंप में सामने की भूमि पर भी ऐसे लोग निगाह गढ़ाए बैठे थे, जहां ये फ्लैट बनाकर अपना उल्लू सीधा करने के प्रयास में थे। इस भूमि पर अपना कब्जा न होता देख ऐसे लोगों ने षडयंत्र रचा और अखाड़े में संतों के बीच विवाद उत्पन्न कराया। सूत्रों के मुताबिक अखाड़े के संतों ने इसकी भनक लगते ही इसका विरोध किया और विरोध के कारण विवाद उत्पन्न हो गया।
अब देखना दिलचस्प होगा की यह विवाद कहां पहुंचकर समाप्त होता है। कारण की संत भी इस मामले को लेकर गुटों में बंट चुके हैं और मामला कोर्ट में भी चला गया है।