नाभि खिसकना, जानिए उपचार

नाभि खिसकना, नाभि टलना, नलै-नरै होना, धरण डिगना, अलग-अलग क्षेत्रों में इस समस्या को अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है।

इस समस्या के कारण पाचन संबंधी व अन्य कई विकार बने रहते हैं, लाख कोशिशों के बावजूद भी इन विकारों को काबू करना मुश्किल रहता है जब तक कि नाभि अपने स्थान पर वापिस ना आ जाए।

क्या है नाभि टलना…?

दरअसल हम सभी की नाभि के बीचों-बीच ह्रदय-स्पंदन (धड़कन) महसूस की जानी चाहिए, कई कारणों से यह अपने स्थान से खिसक जाती है एवं फिर धड़कन इधर-उधर महसूस की जाती है।

नाभि का टलना कैसे चेक करें…?
नाभि अपने स्थान पर है या नहीं यह आप संलग्न चित्र के तरीके से भी चेक कर सकते हैं, सीधे खड़े होकर यदि दोंनो हाथों की कनिष्ठा (सबसे छोटी उंगली) छोटी-बड़ी हैं। या समतल जगह लेटने पर दोनों पैरो के अंगूठे छोटे बड़े हैं तो नाभि अपने स्थान से खिसकी हुई है।

दूसराः-

चटाई इत्यादि लेकर समतल जगह पर रोगी सीधे लेटें, एक धागा लेवें, नाभि के मध्य से दोनों निप्पल्स (स्तन) की दूरी दूसरे व्यक्ति से नापने को कहें, यदि यह दूरी कम ज्यादा है तो नाभि अपने स्थान पर नहीं है।

तीसराः-

चटाई इत्यादि लेकर समतल जगह पर रोगी सीधे लेटें, दूसरे व्यक्ति को नाभि के बीचों-बीच उंगलीयों के माध्यम से दवाब देकर धड़कन(ह्रदय स्पंदन) चेक करने को कहें, यदि धड़कन बीचों-बीच की इधर-उधर मिल रही है तो नाभि टली हुई है।.

वापिस अपने स्थान पर नाभि को कैसे लावें…?

पेट को हल्का दवाब देकर चेक करें, क्या यह दुखता है एवं क्या सख्त है…?
यदि दुखना और सख्त होना नहीं है तो सुबह खाली पेट (फ्रेश होने के बाद) समतल जगह पर लेटें, लेटकर बर्फ का कटोरा नाभि पर रखें, बर्दाश्त होने तक रखा रहने देवें।

यदि पेट सख्त है तोः-
रात को सोते समय इस प्रकार की रोटी बनवाए जो एक तरफ से कच्ची हो, अर्थात एक तरफ अग्नि पर पकाई ना गई हो, उस रोटी में कच्ची वाली तरफ सरसों या तिल तेल उपलब्धता अनुसार लगावें व वह रोटी नाभि को सेंटर में रखकर किसी पुराने कपड़े से पेट पर बाँध लेवें, सुबह खोल देवें, 2-4-6 रातों तक पेट मुलायम होने तक यह प्रक्रिया करें।

पेट मुलायम होने पर

सुबह खाली पेट(फ्रेश होने के बाद)समतल जगह पर सीधा लेटें, लेटकर बर्फ का कटोरा नाभि पर रखें, बर्दाश्त होने तक रखा रहने देवें। (1 से 4 दिन आवशककतानुसार यह प्रक्रिया दोहरावें जब तक नाभि स्थान पर ना आ जावे)

(उपरोक्त के अलावा भिन्न-भिन्न जगहों पर लोग भिन्न प्रकार से सेट करते हैं। योगासन वगेरा की भी मदद ली जाती है, उपरोक्त विधि सरल है व आप स्वयं कर सकते हैं इसलिए लिखा हैं)

नाभि जल्दी से ना टले इसके लिए नाभि अपने स्थान पर सेट होने के बाद काला धागा(ताबीज वाला) दोंनो पैरों के अंगूठों में बाँध लेवें, कई लोग धागे की बजाय चाँदी या लोहे के छल्ले भी पैरों के अंगूठो में डलवा लेते ह।

अधिक वजन उठाने से बचें, यदि उठाना पड़े तो झटके से ना उठाव। सुबह ज्यादा देर खाली पेट ना रहें। ऊँचे-नीचे में पैर पड़ने व झटका लगने से बच। सुपाच्य भोजन कर। प्रतिदिन नाभि में सरसों तेल, घी, पंचगव्य इत्यादि लगाव।

Dr. (Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
Kankhal Hardwar aapdeepak.hdr@gmail.com
9897902760

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