नरेन्द्र गिरि मौत मामलाः धीरे-धीरे उठ रहा रहस्यों से पर्दा

नरेन्द्र गिरि की मौत के बाद एक के बाद एक रहस्यों से पर्दा उठता जा रहा है। किन्तु उनकी मौत आज भी रहस्य बनी हुई है। इस पर से पर्दा कब उठेगा और हकीकत कब सामने आएगी ये कह पाना मुश्किल है। किन्तु इतना तय है कि मौत के पीछे कुछ न कुछ बड़ा खेल अवश्य है।
सीबीआई द्वारा कोर्ट में पेश की गयी चार्ज सीट में सिडनी जेल में वर्ष 2019 में आनन्द गिरि के बंद होने पर उन्हें छुड़ाने के लिए नरेन्द्र गिरि ने मोटी रकम आस्ट्रेलिया भेजी थी। रकम कितनी थी इसका खुलासा नहीं किया गया है। जब गुरु-शिष्य के बीच विवाद बढ़ा तो उन्हें छुड़ाने के नाम पर करोड़ों रुपये इकट्ठा करने का आनन्द गिरि ने आरोप लगाया था। जबकि आस्ट्रेलिया रकम भेजने के साथ नरेन्द्र गिरि ने धन के साथ अपने रसूख का भी इस्तेमाल किया था। इस संबंध में नरेन्द्र गिरि ने आनन्द गिरि के किसी शिष्य से पैसे न लेने की बात कही थे तो आनन्द गिरि ने उन पर उनके भक्तों से रकम इकट्ठा करने का आरोप लगाया था।
आनन्द गिरि ने नरेन्द्र गिरि पर मठ की सम्पत्ति खुर्द बुर्द करने का भी आरोप लगाया था, जो सीबीआई द्वारा पेश की गयी चार्ज सीट में पुख्ता होता हैै। सीबीआई की चार्ज सीट में कहा गया है कि अल्लापुर स्थित बाघम्बरी गद्दी के एक हिस्से को बेचने की तैयारी थी। जिसका सौदा नरेन्द्र गिरि ने प्रयागराज के चर्चित हड्डी रोग विशेषज्ञ यूबी यादव के साथ डेढ़ करोड़ में किया था। किन्तु पैसे के लेनदेन का साक्ष्य नहीं मिल पाया। इतना ही नहीं हरिद्वार अखाड़े में भी आनन्द गिरि ने मठ की सम्पत्ति बेचने की शिकायत अपनी मढ़ी में की थी, जिसके बाद अखाड़े में भी गर्मागर्मी हुई थी। सूत्र बताते हैं कि मठ की सम्पत्ति को खुर्दबुर्द करने के कारण ही नरेन्द्र गिरि को अखाड़े ने बाहर करने की तैयारी की जा रही थी। इतना ही नहीं मठ के जौनपुर के मुंगराबादशाहपुर निवासी सुमित ने खुद को मठ का उत्तराधिकारी बनाए जाने की भी नरेन्द्र गिरि से उस समय इच्छा व्यक्त की थी, जब वह हरिद्वार में कोरोना से लड़ रहे थे। बताते हैं कि सुमित को यह लगने लगा था कि अब महंत के बचने की उम्मीद कम है। सुमित उस समय नरेन्द्र गिरि की देखभाल कर रहा था। किन्तु मठ के स्वामित्व का अधिकार बलवीर पुरी के हाथों आ गया।

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