उत्तम स्वास्थ्य के लिए जरूरी, सरसों का तेल, जानें क्यों

सरसों का तेल खाने के लिए उत्तम है, आयुर्वेद में सरसों के तेल को तिल के तेल के समान ही उत्तम माना जाता है। सरसों के तेल में कोलैस्ट्राल का स्तर कम होने के कारण ह्रदय रोगों में भी यह लाभदायक बताया जाता है

हाथों की खुश्की

हाथों में खुशकी और खुदरापन होने की स्थिति में सरसों के तेल से हल्की मालिश करें, त्वचा मुलायम हो जाएगी।

शरीर दर्द और थकान

शीत मौस्म में धूप में बैठकर सभी उम्र के लोगों को तेल की मालिश करनी चाहिए। शिशुओं को धूप में लिटाकर इस तेल से मालिश करने से उनकी थकान दूर होती है। नींद अच्छी आती है, तथा शरीर के दर्द से राहत मिलती है।

सरसों का तेल वातनाशक और गर्म होता है। इसी कारण शीतकाल में वातजन्य दर्द को दूर करने के लिए इस तेल की मालिश की जानी चाहिए। जोडों का दर्द, मांसपेशियों का दर्द, गठिया, छाती का दर्द, ब्रोंकाइटिस आदि की पीड़ा भी सरसों के तेल से दूर हो जाती है।

उबटन

बेसन में सरसों का तेल मिलाकर उबटन की तरह त्वचा पर मलने से त्वचा गोरी हो जाती है तथा उसमें कमल के समान ताजगी आ जाती है।

मसूड़ों के रोग

सरसों के तेल में मधु (शहद) मिलाकर दांतों एंव मसूडों पर हल्के हल्के मलते रहने से मसूड़ों के सभी रोग भाग जाते हैं, तथा दांत भी मजबूत होते हैं।

जुखाम

जुकाम होने या नाक के बंद होने पर दो बूंद सरसों तेल नाक के छिद्रों में डाल कर सांस जोर सें खीचने पर बंद नाक खुल जाती है और जुकाम से भी राहत मिलती ह।ै

कान दर्द

कान में सरसों तेल गर्म करके डालने से कान दर्द ठीक होता है, अगर कोई कीडा वगैरा घुस गया हो तो वो भी बाहर निकल जाता है। अगर सरसों तेल में लहसुन की कली जलाकर ओर नीम का तेल मिलाकर डाला जाय तो बहरापन में बहुत उपयोगी सिद्ध होग ।

दाँत

सरसों के तेल में सेंधा नमक मिलाकर सुबह-शाम दांतों पर मलने से दांतों से खून आना , मसूड़ों की सूजन, दांतों के दर्द में आराम मिलता है, साथ ही दांत चमकीेले ओर सुन्दर भी बनते हैं।

आँख

पैरों के तलवों एव अंगूठों में सरसों का तेल लगाते रहने से नेत्र ज्योति बढ़ती है।

नींद

रात को हाथ पाँवों में तेल लगा कर सोने से मच्छर नहीं काटते, नींद अच्छी आती है।

बाल

बालों में सरसों का तेल लगाते रहने से बाल मजबूत होते हैं, मोटे घने होते है। सिर दर्द भी नही होता।

सूजन

शीतकाल में पैरों की उंगलीयों में सूजन आ जाती है। ऐसी अवस्था में सरसों का तेल में थोड़ा सा पिसा हुआ सेंधा नमक मिलाकर गर्म करलें। ठंडा होने पर उंगलियों पर लेप लगा कर रात में सों जाएं। कुछ ही दिनों मे आराम दिखाई देगा।

पेट के रोग

हाने से पूर्व नित्य नाभि में दो बूंद सरसों का तेल लगाने से पेट से संबंधित रोग कम ही होते है। पाचन क्रिया भी अच्छी रहती है, हांेठ नहीं फटते।

Dr. (Vaid) Deepak Kumar, Adarsh Ayurvedic Pharmacy, Kankhal, Hardwar aapdeepak.hdr@gmail.com, 9897902760

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