हरिद्वार से हुई थी करवा चौथ व्रत की शुरूआत

राजा दक्ष की पुत्री रोहिणी ने अपने पति चन्द्रमा के लिए किया था पहली बार व्रत
हरिद्वार
। भारतीय प्राच विद्या सोसाइटी कनखल के संस्थापक ज्यातिषाचार्य पं. प्रतीक मिश्रपुरी ने बताया कि 24 अक्टूबर रविवार को करवा चौथ का त्योहार है। इसको करक चतुर्थी भी कहा जाता है। इस त्योहार का प्रारंभ भी हरिद्वार में हुआ था। उन्होंने बताया कि चंद्रमा को जब छय रोग हुआ तो राजा दक्ष की बेटी रोहिणी ने चंद्रमा के लिए व्रत कनखल में किए। इस दिन का व्रत नारद ऋषि के कहने से रोहिणी ने किया। तभी से पूरे भारतवर्ष में ये व्रत किया जाता है। श्री मिश्रपुरी ने बताया कि द्रोपदी ने भी इस व्रत को किया था। यदि किसी का पति बीमार हो। या बहुत दरिद्री हो तो भी ये व्रत लाभकारी होता है। इस दिन चंद्रमा अपनी प्रिय पत्नी रोहिणी के घर में वास करते हैं। उन्होंने बताया कि इस दिन सुहागन महिलाएं निराहार रहकर रात्रि काल में चंद्रमा का दर्शन करके व्रत खोलती हैं। प्रायः इस दिन महिलाएं लाल या हरे रंग के वस्त्र धारण करती हैं तथा सोलह श्रृंगार करती हैं। इन सोलह श्रृंगार का तात्पर्य चंद्रमा की सोलह कलाओं से है। इस दिन जो भी पति अपनी पत्नी का सम्मान करता है तथा स्वर्ण इत्यादि पत्नी को देता है। उसका वैवाहिक जीवन सफल होता है। उन्होंने बताया कि इस बार चतुर्थी पूरे दिन रहेगी। रविवार को हरिद्वार में चंद्र उदय ठीक 8 बजे हो जायेगा। करवा चौथ का पूजन मिट्टी या चंांदी के बर्तन में करने से दरिद्र नारायण गृह से पलायन कर जाते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *