बवासीर मलाशय के आसपास की नसों की सूजन के कारण विकसित होता है।
बवासीर दो प्रकार की होती है, खूनी बवासीर और बादी वाली बवासीर। खूनी बवासीर में मस्से खूनी सुर्ख होते हैं और उनसे खून गिरता है।
जबकि बादी वाली बवासीर में मस्से काले रंग के होते हैं और मस्सों में खाज पीड़ा और सूजन होती है।
बवासीर बेहद तकलीफदेह होती है। देर तक कुर्सी पर बैठना और बिना किसी शेड्यूल के कुछ भी खा लेना इसका प्रमुख कारण है।
बवासीर की बीमारी से निजात पाने के लिए यह उपाय कारगर है।
रसोत 250 ग्राम
छोटी हेड 250 ग्राम
एवला 250 ग्राम
देसी गाय का मूत्र 5. किलो
मूली का रस 5. किलो
बथुए का रस 1 किलो
मूली व बथुए के रस में ओषधि को भिगो कर रखेे
औषधि मिल जाने पर गोमूत्र मिलाकर पकाएं। पक जाने पर हलवे की तरह हो जाए तब चने के बराबर गोलियां बना लें।
दो गोली सुबह खाली पेट छाछ के साथ में दो गोली शाम को सोते समय सेवन करें। 20 साल पुरानी बवासीर भी ठीक हो जाती है।
Dr. (Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
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