सिरदर्द या शिरपीड़ा (शिरपीड़ा (Headache) सिर, गर्दन या कभी-कभी पीठ के उपरी भाग के दर्द की अवस्था है। यह सबसे अधिक होने वाली तकलीफ है, जो कुछ व्यक्तियों में बार बार होता है। सिरदर्द की आमतौर पर कोई गंभीर वजह नहीं होती, इसलिए लाइफस्टाइल में बदलाव और रिलैक्सेशन के तरीके सीखकर इसे दूर किया जा सकता है। इसके अलावा कुछ घरेलू उपाय भी होते हैं, जिन्हें अपनाकर सिरदर्द से राहत मिल सकती है।
कारण
सिरदर्द केवल एक लक्षण है, कोई रोग नहीं। इसके अनेक कारण हो सकते हैं, जैसे साधारण चिंता से लेकर घातक मस्तिष्क अर्बुद तक। इसके सौ से भी अधिक कारणों का वर्णन यहाँ संभव नहीं है, पर उल्लेखनीय कारण निम्नांकित समूहों में वर्णित हैं :
1. शिर:पीड़ा के करोटि के भीतर के कारण
मस्तिष्क के रोग – अर्बुद, फोड़ा, मस्तिष्कशोथ तथा मस्तिष्काघात; तानिका के रोग – तानिकाशोथ, अर्बुद, सिस्ट (cyst) तथा रुधिरसमूह (हीमेटोमा); रक्तनलिकाओं के रोग – रक्तस्राव, रक्तावरोध, थ्रॉम्बोसिस (thrombosis) तथा रक्तनलिका फैलाव (aneurism), धमनी काठिन्य आदि।
2. शिर:पीड़ा के करोटि के बाहर के कारण
शिरोवल्क के अर्बुद, मांसपेशियों का गठिया तथा तृतीयक उपदश;
नेत्र गोलक के अर्बुद, फोड़ा, ग्लॉकोमा (glauscoma), नेत्र श्लेष्मला शोथ तथा दृष्टि की कमजोरी;
दाँतों के रोग – फोड़ा तथा अस्थिक्षय;
करोटि के वायुविवर के फोड़े, अर्बुद तथा शोथ;
कर्णरोग – फोड़ा तथा शोफ़;
नासिका रोग – नजला, पॉलिप (polyp) तथा नासिका पट का टेढ़ापन और
गले के रोग – नजला, टांन्सिल के रोग, ऐडिनाइड (adenoid) तथा पॉलिप।
3. विषजन्य शिर:पीड़ा के कारण
बहिर्जनित विष – विषैली गैस, बंद कमरे का वातावरण, मोटर की गैस, कोल गैस, क्लोरोफॉर्म, ईथर और औषधियाँ, जैसे कुनैन, ऐस्पिरिन, अफीम, तंबाकू, शराब, अत्यधिक विटामिन डी, सीसा विष, खाद्य विष तथा ऐलर्जी (allergy);
अंतर्जनित विष – रक्तमूत्र विषाक्तता, रक्तपित्त विषाक्तता, मधुमेह, गठिया, कब्ज, अपच, यकृत के रोग, मलेरिया, टाइफॉइड (typhoid), टाइफस (typhus) इंफ्ल्यूएंज़ा, फोड़ा, फुंसी तथा कारबंकल।
4. शिर:पीड़ा के क्रियागत कारण
अति रुधिर तनाव – धमनी काठिन्य तथा गुर्दे के रोग;
अल्प तनाव – रक्ताल्पता तथा हृदय के रोग;
मानसिक तनाव – अंतद्वैद्व, चेतन एवं अचेतन मस्तिष्क का संघर्ष
शिर पर अत्यधिक दबाव;
अत्यधिक शोर;
विशाल चित्रपट से आँखों पपर तनाव;
लंबी यात्रा (मोटर, ट्रेन, हवाई यात्रा); लू लगना; हिस्टीरिया; मिरगी; तंत्रिका शूल; रजोधर्म; रजोनिवृत्ति; सिर की चोट तथा
माइग्रेन (अर्ध शिर:पीड़ा)।
शिर:पीड़ा की उत्पत्ति के संबंध में बहुत सी धारणाएँ हैं। मस्तिष्क स्वयं चोट के लिए संवेदनशील नहीं है, किंतु इसके चारों ओर जो झिल्लियाँ या तानिकाएँ होती हैं, वे अत्यंत संवेदनशील होती हैं। ये किसी भी क्षोभ, जैसे शोथ, खिंचाव, तनाव, विकृति या फैलाव द्वारा शिर:पीड़ा उत्पन्न करती हैं। आँख तथा करोटि की मांसपेशियों के अत्यधिक तनाव से भी दर्द उत्पन्न होता है।
सामान्य करण
मसल्स में खिंचाव :
आमतौर पर खोपड़ी की मसल्स में खिंचाव के कारण सिरदर्द होता है।
फिजिकल स्ट्रेस :
लंबे वक्त तक शारीरिक मेहनत और डेस्क या कंप्यूटर के सामने बैठकर घंटों काम करने से हेडेक हो सकता है।
इमोशनल स्ट्रेस और जिनेटिक वजहें :
किसी बात को लेकर मूड खराब होने या देर तक सोचते रहने से भी सिरदर्द हो सकता है। सिरदर्द के लिए जेनेटिक कारण भी 20 फीसदी तक जिम्मेदार होते हैं। मसलन, अगर किसी के खानदान में किसी को माइग्रेन है तो उसे भी हो सकता है।
नींद पूरी न होना :
नींद पूरी न होने से पूरा नर्वस सिस्टम प्रभावित होता है और ब्रेन की मसल्स में खिंचाव होता है, जिससे सिरदर्द हो जाता है। इसके अलावा वक्त पर खाना न खाने से कई बार शरीर में ग्लूकोज की कमी हो जाती है या पेट में गैस बन जाती है, जिससे सिरदर्द हो सकता है।
अल्कोहल :
ज्यादा अल्कोहल लेने से सिरदर्द हो सकता है।
बीमारी :
दूसरी बीमारियां जैसे कि आंख, कान, नाक और गले की दिक्कत भी सिरदर्द दे सकती है।
एनवायनरमेंटल फैक्टर :
ये फैक्टर भी तेज सिरदर्द के लिए जिम्मेदार होते हैं, उदाहरण के तौर पर गाड़ी के इंजन से निकलने वाली कार्बनमोनोऑक्साइड सिरदर्द की वजह बन सकती है।
सिरदर्द के प्रकार
शिर:पीड़ा निम्नलिखित कई प्रकार की हो सकती है :
- मंद – करोटि के विवर के शोथ के कारण मंद पीड़ा होती है। यह दर्द शिर हिलाने, झुकने, खाँसने, परिश्रम करने, यौन उत्तेजना, मदिरा, आशंका, रजोधर्म आदि से बढ़ जाता है।
- स्पंदी – अति रुधिरतनाव पेट की गड़बड़ी या करोटि के भीतर की धमनी के फैलाव के कारण स्पंदन पीड़ा होता है। यह दर्द लेटने से कम हो जाता है तथा चलने फिरने से बढ़ता है।
- आवेगी – तंत्रिकाशूल के कारण आवेगी पीड़ा होती है। यह दर्द झटके से आता है और चला जाता है।
- तालबद्ध – मस्तिष्क की धमनी का फैलाव, धमनीकाठिन्य तथा अतिरुधिर तनाव से इस प्रकार की पीड़ा होती है।
- वेधक – हिस्टीरिया में जान पड़ता है जैसे कोई करोटि में छेद कर रहा हो।
- लगातार – मस्तिश्क के फोड़े, अर्बुद, सिस्ट, रुधिरस्राव तथा तानिकाशोथ से लगातार पीड़ा होती है।
शिर:पीड़ा के स्थान, समय, प्रकार तथा शरीर के अन्य लक्षणों एवं चिन्हों के आधार पर शिर:पीड़ा के कारण का निर्णय या रोग का निदान होता है।
आमतौर पर सिरदर्द चार तरह के होते हैं :
माइग्रेन, तनाव हेडेक (मसल्स में खिंचाव), ट्यूमर हेडेक और
साइनस हेडेक।
उपाय
भरपूर नींद लें :
रात में कम-से-कम 6-8 घंटे की नींद जरूर लें और सोने – जागने का शेड्यूल एक जैसा रखने की कोशिश करें।
टेंशन न लें :
भागदौड़ भरी जिंदगी में सबसे आगे रहने की टेंशन लेने के बजाय कॉम्पिटिशन के साथ सामान्य रूप से जीने की आदत डालें और टेंशन को कम करने के लिए योग, मेडिटेशन, हॉबी क्लास, गेम्स आदि का सहारा लें।
एक्सरसाइज करें :
सिरदर्द से बचाव में एक्सरसाइज की भूमिका काफी अहम है, क्योंकि इससे शरीर में एंडॉर्फिन रिलीस होता है, जोकि शरीर के लिए नैचरल पेनकिलर का काम करता है।
स्मोकिंग व अल्कोहल से बचें :
स्मोकिंग से खून की नलियां और ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है, जिससे मसल्स में ब्लड सर्कुलेशन सही ढंग से नहीं हो पाता और तेज सिरदर्द हो जाता है। अल्कोहल कम लें। साथ ही, डीहाइड्रेशन से बचने के लिए ड्रिंक करने के बाद खूब सारा पानी पीना चाहिए।
लिक्विड है जरूरी :
कई बार डीहाइड्रेशन से भी सिरदर्द हो जाता है। खूब पानी और दूसरे हेल्दी लिक्विड लेकर माइनर सिरदर्द को रोका जा सकता है।
गर्दन को स्ट्रेच करें :
अपनी गर्दन और शरीर के बाकी ऊपरी हिस्से को थोड़ी – थोड़ी देर पर स्ट्रेच करना न भूलें, खासतौर से अगर आप डेस्क, कंप्यूटर या लैपटॉप पर देर तक काम करते हैं।
अच्छा खाएं :
आप जो खाते हैं, उससे ब्रेन की केमिस्ट्री प्रभावित होती है और इससे खून की नलियों का साइज भी बदल सकता है। इतना ही नहीं, कुछ खास फूड्स से किसी को एलर्जी भी हो सकती है, जिसके इस्तेमाल से सिरदर्द हो सकता है।
ज्यादा कैफीन लेने से बचें :
काम के स्ट्रेस से बचने के लिए लोग काफी ज्यादा चाय, कॉफी आदि पीते रहते हैं, जिनमें कैफीन होता है। ज्यादा कैफीन लेने से सिरदर्द की आशंका बढ़ती है।
ज्यादा दवा न खाएं :
बार – बार पेनकिलर लेना भी सिरदर्द की वजह हो सकता है, क्योंकि हल्का दर्द होने पर भी पेनकिलर लेने से शरीर को इनकी आदत हो जाती है। दो – तीन महीने तक लगातार ऐसा करने से सिरदर्द पलटकर आता है और जब तक पेनकिलर न लें, ठीक नहीं होता।
चिकित्सा
सर्वप्रथम शिर:पीड़ा के कारण की खोज करनी चाहिए और उसकी उचित चिकित्सा करनी चाहिए। विश्राम अत्यावश्यक है।
सामान्य सिरदर्द के लिए नौशादर और खाने वाला चूना बराबर मात्रा में मिलाकर शीशी में भर लें और अच्छी तरह मिला लें। सिरदर्द होने पर एक चुटकी निकालकर सूंघ लें।
बर्फ कूटकर कपड़े में लपेट कर सिर पर रखने से भी राहत मिलती है, पर सर्दी – जुकाम से होनेवाले सिरदर्द में ऐसा न करें। अगर बुखार से हो तो गोदंती भस्म एक ग्राम पानी से सुबह – शाम या शिर शूलवर्जिनी रस की एक – एक गोली दिन में तीन बार पानी से लें।
माइग्रेन
माइग्रेन में आमतौर पर सिर के आधे हिस्से में दर्द होता है और सिरदर्द के वक्त मितली या उलटी भी आ सकती है। इसकी फ्रिक्वंसी के हिसाब से दवा लेनी पड़ती है। मसलन अगर महीने में दो – तीन बार से ज्यादा माइग्रेन हो तो डॉक्टर की सलाह से दवाई लें। बाकी नीचे लिखे उपाय भी अपना सकते हैं।
आयुर्वेद
कोई एक उपाय करें :
गोदंती भस्म और शिरशूलवजिर्नी रस मिलाकर लेने से कुछ देर के लिए आराम आ जाएगा, पर पूरा इलाज डॉक्टर से पूछकर ही करें।
शिरशूलहर वटी लें।
आक की सूखी डंडी खोखली होती है। उसे सिगरेट की तरह सुलगाकर जिस तरफ सिरदर्द हो, उसी तरफ के नथुने से धुआं खींचें। एक – दो बार करने पर सिरदर्द खत्म हो जाएगा।
सूतशेखर रस की दो गोली दिन में तीन बार लें।
लक्ष्मीविलास रस की दो गोली दिन में तीन बार लें।
हल्का दर्द होने पर प्रवाल पंचामृत की दो गोली दिन में दो बार लें।
मुद्रा
माइग्रेन में ज्ञान मुद्रा से आराम मिलता है।
योग
धीरे – धीरे अनुलोम – विलोम प्राणायाम करें। – कानों को धीरे – धीरे खींचें। – हाथ व पैरों के अंगूठों को दबाने से तुरंत आराम आता है।
घरेलू उपाय
रात में सोने से पहले नाक में गाय के घी की दो – दो बूंदे डालें। – सरसों के तेल को कटोरी में डालकर सूंघें।
एक मुनक्के के बीज निकालकर उसमें एक साबुत राई रख दें। सूर्योदय से पहले कुल्ला करके पानी से मुनक्का निगल लें। 2-3 दिन ऐसा करें।
सूर्योदय से पहले एक छटांक बूरा (पिसी खांड़) पानी में घोलकर दो – तीन दिन पीएं। शुगर वाले इसे बिल्कुल न अपनाएं।
अन्य उपाय
टेंशन, थकान या नींद पूरी न होने से सिर दर्द टेंशन हेडेक में सिर के आगे वाले हिस्से में दर्द होता है। आमतौर पर यह दर्द आराम करने से ठीक हो जाता है, इसलिए घबराएं नहीं, लेकिन अगर बार – बार ऐसा हो तो डॉक्टर की सलाह से सीटी स्कैन कराएं।
आयुर्वेद
शिरशूलवजिर्नी रस की एक – एक गोली 3 बार पानी से और 5 ग्राम अश्वगंध चूर्ण दिन में एक बार पानी से लें।
सारस्वतारिष्ट सीरप 3 चम्मच इतने ही पानी में डालकर दिन में खाने के बाद 2 बार लें। –
रात को दूध में 3 ग्राम हल्दी डालकर गर्म करके पी लें। दो दिन में ही फर्क पड़ जाएगा। इसमें जरा – सा घी डालना सोने पे सुहागा होगा।
ब्राह्मीवटी 2 गोली दिन में 2 बार लें। – अश्वगंधा का एक या 2 गोली दिन में दो बार।
मुद्रा ज्ञान मुद्रा का प्रयोग करना चाहिए।
योग – टेंशन में अनुलोम – विलोम व गहरी सांस लें। – रात को सोने से पहले हाथ – मुंह धोकर तलवे व घुटने के पीछे की तरफ सरसों के तेल की मालिश करें।
Dr.(Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
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