फिर बोतल से बाहर आया हरिद्वार कोरिडोर का जिन्न

हरिद्वार। व्यापारियों में कुछ दिनों की चुप्पी के बाद कॉरिडोर का जिन्न फिर से बोतल से बाहर आ गया है। गत दिवस प्रदेश के मुख्यमंत्री ने हरिद्वार में राज्य के 25वें स्थापना दिवस पर आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में उद्घाटन के दौरान हरिद्वार का विकास अगले 50 वर्षों को ध्यान में रखकर योजना बनाने के बयान से एक बार फिर से कॉरिडोर का इशारा कर व्यापारियों में खलबली पैदा कर दी है।


रामलीला भवन में आयोजित शहर व्यापार मंडल की बैठक में इस मुद्दे पर फैसला लेते हुए इस जन आंदोलन को राजनेताओं से दूर रखने पर भी गंभीरता से विचार कर इकाइयों की बैठकों में जन जागरण शीघ्र शुरू करने का निर्णय लिया गया।


उत्तराखंड राज्य गठन के 24 वर्षों में हरिद्वार ने क्या पाया? बड़ा अहम सवाल हैं। 24 वर्षों में धर्मशालाएं होटलों में बदल गई। सैकड़ों अवैध कॉलोनीयों का अनियोजित विकास को आधे हरिद्वार में भूमिगत विद्युत लाइन, आधे शहर में भूमिगत गैस पाइपलाइनों से अछूता, कई अवैध कॉलोनी में सीवर नहीं है जो भूमिगत हैं और किसी न किसी तरह गंगा जी में जा रहा है।
स्व. एन डी तिवारी ने अपने कार्यकाल में पुल, प्लेटफार्म, घाट दिए मेला अस्पताल बनवाया। भाजपा ने सिर्फ मुख्यमंत्री बदलने का ही काम किया या बेलगाम नौकरशाओं की पीठ थपथपा कर शासन तन्त्र की डोर उन्हें सौंप कर अफसरशाही का तांडव शुरू करवाया जो आज चरम पर हैं।


उल्लेखनीय है कि मूल निवास भू कानून संघर्ष समिति उत्तराखंड के संयोजक मोहित डिमरी के नेतृत्व में उत्तराखंड के हजारों युवाओं ने विशाल रैली निकालकर जहां वर्तमान भू कानून का विरोध कर उसमें संशोधन की मांग की हैं। वहीं तीर्थ नगरी हरिद्वार की पौराणिकता से छेड़छाड़ ना करने की चेतावनी प्रदेश सरकार को दी है। हरिद्वार के व्यापारियों को उन्होंने अपना भाई बताते हुए किसी भी तोड़फोड़ का डटकर मुकाबला करने की तखक्तियां हाथ में लेकर रैली में जमकर नारे बाजी की।
सत्ताधारी दल में जमकर चल रही गुटबाजी से भी शहर के वाशिंदे और व्यापारी पहले ही हतप्रभ है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के हरिद्वार में जितने भी कार्यक्रम हुए उनमें हरिद्वार के सांसद तथा प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत नदारद रहे। कमोबेश यही स्थिति पूर्व केंद्रीय मंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की भी है। वह भी हरिद्वार में मुख्यमंत्री धामी के कार्यक्रमों से किनारा करते रहे हैं। हरकी पैड़ी पर निशंक आवश्यक कुछ देर नजर आये।


पूर्व कबीना मंत्री और हरिद्वार के विधायक मदन कौशिक को भी धामी गुट ने लाइन हाजिर सा किया हुआ हैं। राज्य स्थापना दिवस की सरकारी विज्ञापनों में प्रोटोकॉल को दर किनार कर मदन कौशिक का नाम ही विज्ञापनों से हटा दिया गया। इससे भाजपा की गुटबाजी खुलकर सड़कों पर आ गई हैं। इस स्थिति से भ्रष्ट अफसरशाही खुश व निरंकुश हो रही हैं। कार्यक्रम के जो निमंत्रण पत्र छापे गए थे, उनमें हरिद्वार जिले के सभी दलों के 11 विधायकों के नाम थे, जिनमें तीन विधायक गैर हिन्दू अल्पसंख्यक हैं।


कार्यक्रम से कुछ देर पहले ही कुछ धार्मिक संगठनों के दबाव में वह निमंत्रण पत्र रद्द कर नए निमंत्रण पत्र छापे गये, जिनमें मदन कौशिक सहित सभी 11 विधायकों के नामों को चलता कर दिया गया, इससे लगता है सूबे की सत्ताधारी पार्टी में इच्छा शक्ति का अभाव है। हालांकि तीनों अल्पसंख्यक विधायकों ने खुद ही समस्त कार्यक्रमों से दूरी बनाई रखी। सूत्रों का कहना है कि भाजपा के बड़े नेताओं को दिल्ली दरबार में आनन-फानन में बुलाया गया हैं।


अब कॉरिडोर विरोध पर व्यापारियों ने राजनेताओं से दूरी बना ली है। उनके साथ मूल निवास और भू कानून के बदलाव की विशाल संघर्ष समिति भी मोहित डिमरी के साथ खड़ी हो गई हैं। वहीं शहर कांग्रेस कमेटी के बड़े नेताओं मुरली मनोहर, संजय पालीवाल, एडवोकेट सुभाष त्यागी, एडवोकेट अरविंद शर्मा, अमन गर्ग आदि ने भी शीघ्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा से विचार कर हरिद्वार में कॉरिडोर के खिलाफ बड़ा मोर्चा खोलने का मन बना लिया हैं।


कुल मिलाकर दिसंबर में स्थानीय निकायों के चुनावों तक हरिद्वार के व्यापारी और शहर की जनता पैरोल पर हैं। चुनावों के बाद कॉरिडोर का शिकंजा कसना शुरू होगा और सौंदर्यीकरण के नाम पर व्यापक स्तर पर तबाही के मंजर नजर आने का अंदेशा दर्द भरी हकीकत में तब्दील होती नजर आ रहा हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधि इस ज्वलंत मुद्दे पर मौनव्रत धारण करने में ही भलाई समझ रहे हैं। परन्तु स्थानीय निकायों के चुनावों में कॉरिडोर पर उनकी भी धड़कने तेज हो गई हैं।

डॉ. रमेश खन्ना, वरिष्ठ पत्रकार, हरिद्वार

              

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