हरिद्वार। भगवान शिव की ससुराल कही जाने वाली कनखल नगरी में बहु संख्या में संत निवास करते हैं। यहां बड़ी संख्या में आश्रम व अखाड़े भी हैं, जहां से सुबह-शाम आरती पूजा के स्वर सुनाई देते हैं, किन्तु एक आश्रम ऐसा है, जिसका मुख्य द्वार दिन भर बंद रहता है और किसी प्रकार की कोई हलचल नहीं दिखाई देती, किन्तु रात्रि 10 बजे के बाद आश्रम में चहल-पहल के साथ हलचल शुरू हो जाती है। जो सुबह 5 बजे तक जारी रहती है।
इस दौरान बाइक, कार से लोगों को आवागमन बना रहता है। आश्रम है तो संतों को आना भी स्वाभाविक है। इस कारण से रात्रि में विचरण करने वाले कथित भगवाधारी तथा कंुछ विशिष्ट भगवाधारियों की उपस्थिति भी रात्रि के अंधेरे में देखने को मिलती रहती है। यह सिलसिला लम्बे अर्सें से चला आ रहा है। आश्रम कनखल के बैरागी कैंप में किसी बड़े संत का होना बताया जा रहा है।
सूत्र बताते हैं कि 5 बजने के बाद आश्रम में सब सुनसान हो जाता है और रात्रि होते ही आश्रम में रौनक लौटने लगती है। सूत्रों के मुताबिक यहां विशेष प्रकार की महफिल का विशिष्ट लोगों के लिए आयोजन होता है।