केंसर के शुरुआती लक्षण, और उपचार

लगातार अजीर्ण, निगलने में कष्ट, उल्टी, गले में किसी प्रकार की गांठ होना, शरीर के किसी भी भाग में गांठ या सूजन होना आँख, कान, नाक, गुप्तांग, चमड़ी और गुदा से लगातार रक्त या पीक आना। मल मूत्र त्यागने के समय में परिवर्तन, कभी सुबह कभी दुपहर कभी रात को मल मूत्र त्यागने की इच्छा और पेशाब के समय रुकावट, पेट दर्द, शौच के समय दर्द, उपचार के बाद भी घाव ना भरे, शरीर में जो मस्से तिल आदि हो उनके रंग में परिवर्तन हो जाये, स्तनों में किसी भी तरह की सूजन, गांठ या सिकुड़न पैदा हो जाये, शरीर के किसी भी भाग में अचानक गांठ, उभार या त्वचा सख्त हो जाये, बेवजह शरीर के वजन में कमी और कमजोरी महसूस हो।

पेशाब और शौच के समय आने वाला खून। खून की कमी जिससे एनीमिया हो जाता है, थकान और कमजोरी महसूस करना, तेज बुखार आना और बुखार का ठीक न होना। खांसी के दौरान खून का आना, लंबे समय तक कफ आना, कफ के साथ म्यूकस आना। स्तन में गांठ, माहवारी के दौरान अधिक स्राव होना।

सभी केंसर के शुरुआती लक्षणों में ये अपना सकते हैं।

1:- सुबह खाली पेट और शाम 5-6 बजे के बीच मतलब दुपहर के खाने के 3 घंटे बाद, गेहूँ जवारे का ताजा रस 20 एमएल, गिलोय का उबला पानी 10 एमएल, पुननर्वा अर्क 20 एमएल, तुलसी अर्क 10 एमएल व गोमूत्र अर्क 10 एमएल, ये 70 एमएल हो गया। इसके साथ पुननर्वा मन्डुर 2 गोली और आरोग्य वर्द्नी गोली 2 साथ ही लें।

2:- खाने के आधे घंटे बाद तीनो टाईम भृंगराज आसव़ रॉहितारिस्ट ़पुननर्वारिष्ट 10-10 उस इसको आधे गिलास पानी में लें।

केंसर में खाना पीना और परहेज
1:- लाल, नीले, पीले, काले और जामुनी फल सब्जियां का प्रयोग जरूर करें। सफेद फल सब्जियां ना लें।

2:- ग्रीन टी का प्रयोग दिन भर कई बार करें।

3:- केंसर का पता लगते ही दूध या दूध से बने पदार्थ बंद कर दें, ये केंसर के बेक्टीरिया को ताकत देता है। इसकी जगह सोयाबीन या उससे बने पदार्थ प्रयोग में लायें।

4:- बादाम, किशमिश ज्यादा खायें।

5:- ऑर्गेनिक दाल सब्जिया प्रयोग में लायें।

6:- पानी ताम्बे के बरतन में 6 घंटे के लिये रखें। बरतन के नीचे मल्टी पॉल चुम्बक रखें। इस पानी को दिन भर गुनगुना कर पीयंे। हर 40 मिनट बाद दो घुट, ज्यादा प्यास हो तो ज्यादा लें नहीं तो 2 घुट तो पियंे ही।

7:- सुबह शाम की कम से कम 30 मिनट की धूप जरूर लें।

8:- अनार का प्रयोग ज्यादा करे खासकर स्तन केसर में।

9:- 2 किलो गेहूँ, 1 किलो जौ मिश्रित आटे की रोटी लगातार 50 दिन खायंे, इसके साथ आलू, अरबी, बैंगन ना लें।

    10:- हल्दी में कक्रूमिन नामक कुदरती तत्व पाया जाता है, जौ कैंसर कोशिकाओं को मार देता है, यही तत्व देसी गाय के मूत्र में पाया जाता है, इसलिए 1/2 कप देशी गाय का मूत्र ़1/2 चम्मच हल्दी इनको उबाल लें एकबार फिर चाय की तरह पीयंे।
    गोमूत्र को 8 कपडों की परतों से छानकर ही लें। 3 माह ये प्रयोग करें। इसके इलावा बजार से कक्रूमिन के केप्सूल भी मिलते हं,ै इनको देशी गाय के अर्क के साथ बिना गरम किये भी लें सकते हैं।

    11:- एक बकरी जो सिर्फ आक के पत्ते खाती हो उसके दूध में हल्दी उबाल कर चुटकी काली मिर्च पाकर सुबह शाम पीयें।

    12:- लहसुन और प्याज
    लहसुन और प्याज में मौजूद सल्फर कंपाउंड बड़ी आंत, स्तन, फेफड़े और प्रोस्टेट कैंसर की कोशिकाओं को मार देते हैं। लहसुन ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करता है। यह इंसुलिन उत्पादन को कम करके शरीर में ट्यूमर नहीं होने देता।

    13:- सब्जियां
    फूलगोभी और ब्रोकोली शरीर में दो ताकतवर कैंसर रोधी अणु होते हैं। ये दोनों डिटोक्सीफिकेशन एंजाइम के उत्पादन को बढ़ाते हैं, जो कैंसर की कोशिकाओं को मारते हैं और ट्यूमर को बढ़ने से रोकते हैं। ये फेफड़े, प्रोस्टेट, मूत्राशय और पेट के कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए भी जाने जाते हैं।

    14:- अदरक
    ताजा अदरक में कैंसर की कोशिकाओं से लड़ने वाले कुछ खास गुण होते हैं और ट्यूमर की कोशिकाओं को रोकने के लिए मदद करते हैं। अदरक का अर्क कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी से होने वाली परेशानी को भी कम कर सकता है।

    15:- पपीता, कीनू और संतरे 

    ये फल विटामिन और ऐसे तत्वों से भरपूर होते हैं, जो लीवर में पाए जाने वाले कार्सिनोजन को अपने आप खत्म हो जाने के लिए मजबूर करते हैं। कीनू और उसके छिल्के में फ्लेवनोइड्स और नोबिलेटिन नामक तत्व होते हैं जिसमें कैंसर कोशिकाओं को रोकने की क्षमता है।

    16:- टमाटर और तरबूज
    ये लाइकोपीन का समृद्ध स्रोत हैं, जिसे एक बहुत मजबूत एंटीऑक्सीडेंट माना जाता है। यह सेलुलर क्षति से सुरक्षा प्रदान करता है। एक सप्ताह के दौरान टमाटर को भोजन के दसवें भाग के रूप में खाने से प्रोस्टेट कैंसर का खतरा लगभग 18 फीसदी कम हो जाता है।

    17:- फलियां और दाल
    दाल और फलियां प्रोटीन का एक समृद्ध स्रोत होने के अलावा फाइबर और फोलेट प्रदान करते हैं, जो पैनक्रियाज के कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं। फलियां में प्रतिरोधी स्टार्च होता है, जो बड़ी आंत की कोशिकाओं के स्वास्थ्य में सुधार करते हैं।

    18:- ग्रीन टी
    यह एंटीआक्सीडेंट होती है। यह शरीर के अंदर गंदगी को खत्म करके उसे साफ रखती है। ग्रीन टी कैंसर के सेलों को पूरी तरह से खत्म करने में मददगार होती है। ग्रीन टी में केटेचिन होता है, जो कैंसर के प्रभाव को शरीर में बढ़ने से रोकता है।

    19:- जटा वाले नारियल के पानी के सेवन में आंतों और लीवर के कैंसर में फायदा मिलता है। साथ ही यह कैंसर के दूसरे रूपों को भी खत्म करता है। इसलिए जटा वाले नारियल का पानी अवश्य पीएं।

    20:- बेल का जूस शरीर में कैंसर को रोकने में भी प्रभावी होता है। यह ब्लड कैंसर और हड्डियों के कैंसर के प्रभाव को कम करता है।

    21:- कैंसर के रोगी को लहसुन को पीसकर पानी में घोलकर पीना चाहिए यह कैंसर को ठीक कर सकता है। इसलिए नियमित लहसुन पानी पीएं।

    22:- कैंसर से बचने के लिए चुंकदर का आधा कप रस दिन में 2 से 3 बार पीने से कैंसर को शुरूआत में ही रोका जा सकता है। चुकंदर ब्लड कैंसर से होने वाले प्रभाव से शरीर को बचाता है।

    23:- कलौंजी के सेवन करने से लिवर इसे, विटामिन ए में बदलता है, यह कैंसररोधी होता है। इसमें मौजूद कैरोटिन कैंसर के प्रभाव को शरीर में नहीं आने देता। कलौंजी का प्रयोग हमेशा करें।

    24:- ज्यादा मीठा, ज्यादा नमक बिलकुल भी इस्तेमाल न करें। नमक और चीनी एक तरह से शरीर के लिए सफेद जहर होता है।

    25:- तला हुआ खाना खाने से फाइरोलाइट्स शरीर के अंदर जाता है जो कैंसर को बढ़ावा देता है। इसलिए तली हुई चीजों से दूर ही रहें।

    Dr.(Vaid) Deepak Kumar
    Adarsh Ayurvedic Pharmacy
    Kankhal Hardwar aapdeepak.hdr@gmail.com
    9897902760

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