जानिए होलिका दहन का शुभ मुहुर्त व समय

हरिद्वार। होली के पर्व में अब चंद दिन शेष हैं। होली से आठ दिन पूर्व लगने वाले होलाष्टक आरम्भ हो चुके हैं। लोग भी होली पर्व की तैयारियों में जुट गए हैं। सनातन धर्म में यूं तो प्रतिदिन कोई न कोई पर्व व त्यौहार होते हैं। दिवाली के बाद होली का पर्व बड़ा पर्व माना जाता है। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा को प्रदोष काल में होलिका दहन होता है और उसके अगले दिन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को होली खेली जाती है। इस साल होलिका दहन की तिथि पर सुबह में भद्रा रहेगी।


पंद देवेन्द्र शुक्ल शास्त्री के मुताबिक पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि 06 मार्च दिन मंगलवार को शाम 04 बजकर 17 मिनट पर प्रारंभ होगी। पूर्णिमा तिथि का समापन 07 मार्च दिन बुधवार को शाम 06 बजकर 09 मिनट पर होगा। फाल्गुन पूर्णिमा तिथि में प्रदोष काल में होलिका दहन होती है। ऐसे में इस साल होलिका दहन 07 मार्च दिन मंगलवार को होगा।


श्री शुक्ल के मुताबिक 07 मार्च को होलिका दहन का मुहूर्त शाम 06 बजकर 24 मिनट से रात 08 बजकर 51 मिनट तक है। इस दिन होलिका दहन का कुल समय 02 घंटे 27 मिनट तक है। इस समय में होलिका पूजन होगा और फिर होलिका दहन किया जाएगा। होलिका दहन के दिन 07 मार्च को भद्रा सुबह 05 बजकर 15 मिनट तक रहेगी। ऐसे में प्रदोष काल में होलिका दहन के समय भद्रा का साया नहीं रहेगा।
होलिका दहन के अगले दिन होली का त्योहार मनाया जाएगा। ऐसे में इस साल होली का त्योहार 08 मार्च को मनाया जाएगा। 08 मार्च को चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि शाम 07 बजकर 42 मिनट तक है।
श्री शुक्ल ने बताया कि शास्त्रों के मुताबिक भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद को आग में जलाकर मारने के लिए उसके पिता हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को तैयार किया। होलिका के पास एक चादर थी, जिसको ओढ़ लेने से उस पर आग का प्रभाव नहीं होता था। इस वजह से वह फाल्गुन पूर्णिमा को प्रह्लाद को आग में लेकर बैठ गई। भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रह्लाद बच गए और होलिका जलकर मर गई। इस वजह से हर साल होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन रंगों की होली मनाई जाती है। होली बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनायी जाती है।

यंू को समूचे देश में होली का त्यौहार उल्लास के साथ मनाया जाता है, किन्तु बृज और काशी की होली का अपना ही खास अंदाज है। जहां बृज में बरसाने की लट्ठ मार होली प्रसिद्ध है तो वहीं काशी में शमशान की होली का अपना ही अलग अंदाज है।

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