कुंभ के प्रसाद और पुण्य के चक्कर में बंटा कोरोना

आने वाले दिनों में हालात हो सकते है अधिक चिंताजनक
हरिद्वार।
कुंभ का आयोजन हो या न हो इसको लेकर शुरू से ही विवाद चला रहा। अब निरंजनी और आनन्द अखाड़े द्वारा कुंभ समाप्ति की घोषणा के बाद फिर से नया विवाद उत्पन्न हो गया है। इस घोषणा से बैरागी अखाड़े नाराज है। जबकि कुंभ के दिव्य व भव्य आयोजन करने की बात पूर्व की त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार कहती चली आ रही थी, किन्तु कोरोना के खतरे को देखते हुए उसने कुंभ के आयोजन में हीलाहवाली दिखायी। त्रिवेन्द्र सरकार को इस बात का मालूम था कि कुंभ के आयोजन को विराट रूप देने से बड़ा खतरा हो सकता है। जिस कारण त्रिवेन्द्र सरकार से साधु-संत नाराज भी दिखे। त्रिवेन्द्र सरकार की कुर्सी जाने के बाद तीरथ सरकार संतों के समक्ष नतमस्तक हो गयी और उसने त्रिवेन्द्र सरकार द्वारा लगायी गयी तमाम बंदिशों को हटा दिया। यह तो भला हो हाईकोर्ट को की उसने अपने निर्णय में सरकार को पूरी तरह से लोगों के आने पर खुला नहीं छोड़ा, वरना जो हालात आज हैं वह उससे भी बदतर हो सकते थे।
अब कुंभ में संतों ने आशीर्वाद के रूप में लोगों को कारोना बांट दिया। विगत वर्ष कोरोना काल में हरिद्वार में एक सप्ताह में भी जितने संक्रमित नहीं आए, अब प्रतिदिन उतने कोरोना पीड़ित आ रहे हैं। पुण्य बटोरने के चक्कर में आम श्रद्धालुओं को भी कोरोना प्रसाद के रूप में मिल गया।
आंकड़ों के मुताबिक कुंभ काल में अ49 लाख लोगों की डुबकी लगायी। इतनी संक्ष्या में लोगों के आने से वैज्ञानिक और विशेषज्ञ चिंतित है। उनका मानना ह ै कि गंगा के पानी से महामारी फैल सकती है।
कोविड के साए में महाकुंभ स्नान से हरिद्वार में महामारी का खतरा मंडराने लगा है। 12 से 14 अप्रैल तक तीन स्नान पर गंगा में 49 लाख 31343 संतों और श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई है। जिले में 1854 पॉजिटिव मरीज मिले, जो गुरुवार को बढ़कर 2483 पहुंच गयी। कई संत और श्रद्धालु बीमार भी हैं। लगातार संतों के संक्रमित मिलने का सिंलसिला जारी है।
रुड़की विवि के वैज्ञानिक एवं विशेषज्ञ इससे संक्रमण का फैलाव कई गुना बढ़ने की आशंका से चिंतित हैं। वैज्ञानिकों का दावा है कि कोरोना का वायरस ड्राई सरफेस की तुलना में गंगा के पानी में अधिक समय तक एक्टिव रह सकता है।
गंगा का पानी बहाव के साथ वायरस बांट सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि संक्रमित व्यक्तियों के गंगा स्नान और लाखों की भीड़ जुटने का असर आगामी दिनों में महामारी के रूप में सामने आ सकता है। 
अखाड़ों से जुड़े करीब 45 संत कोविड पॉजिटिव आ चुके हैं। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि अस्पताल में हैं। महामंडलेश्वर कपिल देव दास की संक्रमण से मौत हो चुकी है। संक्रमण के फैलाव से रुड़की विश्वविद्यालय के वाटर रिसोर्स डिपार्टमेंट के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संदीप शुक्ला धर्मनगरी में लाखों की भीड़ से चिंतित हैं।
अभी तो कुंभ का स्नान सम्पन्न हुए तीन दिन ही बीते हैं। जिस प्रकार से मरीज हरिद्वार में आ रहे हैं, उसको देखते हुए स्थिति विकट हो सकती है।

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