हरिद्वार। उत्तराखण्ड में निकाय चुनाव की कभी भी घोषणा हो सकती है। चुनाव के लिए राजनैतिक बिसात बिछनी शुरू हो गई है। उधर राज्यपाल ने भी आरक्षण विधेयक को मंजूरी दे दी है। जिसके चलते प्रदेश में मेयर पद के लिए दो सीट ओबीसी के लिए आरक्षित होंगी तथा एक सीट अनूसचित जाति/जनजाति के लिए आरक्षित होगी।
बात यदि हरिद्वार की करें तो यहां हरिद्वार कोरिडोर मुद्दे पर भाजपा बैकफुट पर है। कारण की कोरिडोर के लिए अभी तक कोई स्पष्ट नीति सामने नहीं आ पायी है और न ही कोरिडोर की डीपीआर जनता के समक्ष आई है, जिस कारण से लोगों खासकर व्यापारी वर्ग में कोरिडोर को लेकर भय का माहौल है, जबकि भाजपा नेता कोरिडोर पर जनता और व्यापारियों को कोरे आश्वासन ही दे रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो कोरिडोर को लेकर भाजपा को हरिद्वार में अपनी हालत पतली होती दिखायी दे रही है। बावजूद इसके मेयर पद पर भाजपा का विजयी होना उसकी प्रतिष्ठा का भी सवाल बना हुआ है। वहीं कुछ नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए हरिद्वार सीट को ओबीसी या फिर महिला के लिए आरक्षित करवाना चाह रहे हैं। जिसके लिए उन्होंने देहरादून में डेरा डाला हुआ है।
नेताजी का सोचना है कि यदि हरिद्वार मेयर सीट को वह ओबीसी के लिए आरक्षित करवाने में कामयाब हो जाते हैं तो वे अपनी पंसद के नेता को मेयर पद पर चुनाव लड़वा सकते हैं। सूत्र बताते हैं कि इसके लिए उन्होंने उत्तरी हरिद्वार के एक नेता का ओबीसी प्रमाण पत्र भी बनवा लिया है। महिला आरक्षित होने की दिशा में नेता जी अपनी पत्नी को चुनाव मैदान में उतार सकते हैं। कुल मिलाकर चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताजी हर हाल में अपना टिकट अपने आका के बल पर पक्का मानकर चल रहे हैं। अब समय ही बताएगा कि टिकट का ऊंट किस करवट बैठता है। नेताजी अपनी रणनीति में कामयाब हो पाते हैं या फिर कोई दूसरा ही बाजी मारता है।
डा. रमेश खन्ना