आगामी 4 जुलाई को धरती सूर्य से सबसे दूर हो जाएगी। यह दूरी सामान्य दूरी से भी कई लाख किलोमीटर की होगी। सूर्य से परिक्रमा के दौरान धरती सूर्य से 15 करोड़ 21 लाख किलोमीटर दूर चली जाएगी। सामान्य तौर पर यह दूरी 14 करोड़ 96 लाख किमी होती है।
यह बात तो सभी लोग जानते है कि धरती सूर्य के चारों ओर अंडाकार रूप मेे चक्कर लगाती है,सूर्य की परिक्रमा करते समय एक चक्कर लगाने में धरती को 365 दिन,6 घंटे और 45 मिनट का समय लगता है। सूर्य की परिक्रमा करते हुए है धरती पर सर्दी,गर्मी का मौसम बनता है। हालांकि इस परिक्रमा के दौरान जब धरती सूर्य का चक्कर काटते काटते सूर्य के नजदीक पहुंच जाती है उस प्वाइंट को पेरिहेलियन कहते है। यह प्रक्रिया हर वर्ष होती है।
सौरमंडल की घटनाओं पर नजर रखने वाले अंतरिक्ष केंद्रों में स्थापित हाई डैफिनेशन कैमरे इस तरह की सभी घटनाओं को बड़ी खूबसूरती के साथ कवर करते है। 4 जुलाई 2022 को धरती सूर्य का चक्कर लगाते हुए जब 15 करोड़ 21 लाख किमी का सफ़र तय कर जिस स्थान पर पहुंचेगी उसे इफोलियन प्वाइंट कहा जाता है। इस दिन धरती पर पड़ने वाली सूर्य की खतरनाक रेडियेशन पॉवर भी 7 प्रतिशत कम होगी, जो धरती और धरतीवासियों के लिए अच्छी बात है।
सौरमंडल में हमारी धरती सहित सभी ग्रह सूर्य का चक्कर लगा रहे है। सूर्य की इसी परिक्रमा क्रम में एक समय ऐसा भी आता है जब हमारी धरती सूर्य के बेहद नजदीक से होकर निकलती है हालांकि उस वक्त भी धरती से सूर्य की दूरी जिसे न्यूनतम दूरी कहा जाता है वह भी 14 करोड़ 7 लाख किमी की होती है। धरती सूर्य से जिस न्यूनतम दूरी पर पहुंचती है उसे पेरिहेलियन प्वाइंट कहा जाता है ऐसा प्रतिवर्ष 3 जनवरी को होता है। जैसे अधिकतम दूरी पर पहुंचने पर रेडियेशन का प्रभाव 7 फीसदी कम हो जाता है ठीक उसके उलट 4 जनवरी को जब धरती सूर्य के नजदीक से होकर गुजरती है उस वक्त रेडियेशन का प्रभाव सबसे ज्यादा बढ़ जाता है।