हरिद्वार। सात समुंदर पार करने के बाद भी कोई व्यक्ति अपने देश, शहर और जन्म स्थल को नहीं भूलता, क्योंकि उसकी जड़ें अपने उस मोहल्ले में गहराई तक जमी हुई होती हैं जहां वह जन्मा उसका बचपन बीता। उसका छात्र जीवन बीता और वह मोहल्ले में रहने वाले आस-पड़ोस के लोगों के साथ खेला कूदा। कनखल का एक परिवार सात समुंदर पार अमेरिका के न्यूयॉर्क में जाकर बस गया। उसकी जिंदगी का आधा सफर न्यूयॉर्क की चकाचैंध दुनिया में बीता, परंतु तब भी वह अपनी जड़ों से जुड़ा रहा। जब उसके देश, मोहल्ले और शहर के सामने कोरोना जैसी महामारी की आपदा आई तो वह अमेरिका में बैठकर अपनी जन्मस्थली कनखल के लिए लोगों के लिए मेडिकल सुविधाएं जुटाने में लगा रहा। उसने वहां से आर्थिक सहयोग भेजकर मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराई। यह शख्स कोई और नहीं कनखल के दक्षेश्वर महादेव मंदिर रोड पर स्थित इंजन वाली हवेली में जन्मी और पली-बड़ी नीता सूरी भसीन हैं। नीता भसीन ने श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा द्वारा निर्मला छावनी में बनाए गए कोविड-19 सेंटर में 10 बिस्तरों के लिए ऑक्सीजन उपलब्ध कराई। नीता सूरी और उनके पिता श्री एसडी कॉलेज कनखल में घनश्याम दास सूरी उप प्रधानाचार्य थे। तब इस कॉलेज के प्रधानाचार्य बसंत कुमार पांडे होते थे। घनश्याम दास सूरी और उनका परिवार 70 के दशक में अमेरिका अपने रिश्तेदारों के यहां चला गया। वहीं यह लोग नौकरी और व्यवसाय करने लगे और वहीं के नागरिक हो गए। नीता भसीन के बड़े भाई गिरीश सूरी पिछले साल अमेरिका में कोरोना बीमारी से मृत्यु को प्राप्त हुए। समाज सेविका नीता भसीन ने तब से संकल्प लिया कि वे कोरोना के मरीजों के लिए भारत में सुविधाएं जुटाएंगे। उन्होंने अमेरिका के न्यूयॉर्क में अपनी संस्था के माध्यम से अपने जन्मस्थल कनखल हरिद्वार के लिए निर्मल पंचायती अखाड़े द्वारा बनाए गए कोविड-19 सेंटर में ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था करवाई। नगर निगम के पूर्व पार्षद रहे समाजसेवी विमल ध्यानी बताते हैं कि एसडी इंटर कॉलेज में पड़े उनके नीता भसीन के पिताजी ने उन्हें पढ़ाया। अनीता भसीन शुरू से सामाजिक कार्यों में रुचि लेती रही हैं। और अमेरिका जाकर भी दे सम्मान फॉर और मिशन सामाजिक संस्था बनाकर जन सेवा में जुटी रहती हैं। उन्होंने कोरोना के संकट काल में हरिद्वार के लोगों की मदद के लिए निर्मल पंचायती अखाड़े के कोविड केयर केंद्र में 10 बिस्तरों के लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था करवाई। वे मानवता की सेवा सबसे बड़ा धर्म मानती हैं।