अब बचने के लिए जुगाड़ की तलाश में भटक रहे भगवाधारी
हरिद्वार। मठ और जमीन कब्जाने के आरोप में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री व जूना अखाड़े के संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि महाराज के खिलाफ मध्य प्रदेश के हरदा में मुकदमा दर्ज हुआ है। इसके साथ ही अखाड़े के सभापति मोहन भारती भी मुकदमें के लपेटे में आए हैं। मुकदमा दर्ज होने के बाद अब महामंत्री बचने का जुगाड़ तलाशने में लगे हैं। मुकदमा दर्ज होने के बाद महामंत्री को मठ से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। जिसके बाद तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है।
विदित हो कि मध्य प्रदेश के हरदा में जूना अखाड़े के भारती नामा संतों का गंगेश्वर मठ है। मठ से 1400 बीघा जमीन भी जुड़ी हुई है। पूर्व में गुसाईयों और कई संगठनों के बीच विवाद चल रहा था। जिसके बाद 12 वर्षों तक मुकदमा लड़ने के पश्चात ऋषि भारती उस मठ पर काबिज हुए।
बताते हैं कि इसी दौरान अपनी दबंगई दिखाते हुए हरिगिरि ने गंगेश्वर मठ पर दो वर्ष पूर्व कब्जा कर लिया। जिसको लेकर विवाद उत्पन्न रहा। बीते रोज हरिगिरि से कब्जा छुड़ाने के लिए कई धार्मिक संगठनों के करीब पंाच सौ से अधिक कार्यकर्ता एकत्रित हुए और मठ पर धावा बोलकर हरिगिरि के कब्जे से मठ अपने कब्जे में ले लिया। इतना ही नहीं सम्पत्ति कब्जाने आदि के आरोप में हरिगिरि और अखाड़े के श्रीमहंत मोहन भारती के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया। पांच सौ से अधिक लोगों की भीड़ देखकर कब्जाधारियों के हाथ-पांव फूल गए। भीड़ में काफी संख्या में संत भी शामिल रहे, जो हरिगिरि महाराज की कारगुजारियों से त्रस्त बताए गए हैं। मुकदमा दर्ज होने के बाद अब श्रीमहंत और सरंक्षक अपने बचने का जुगाड़ तलाशने में जुटे हैं।
उधर कुछ संतों का कहना है कि हरदा में हरिगिरि महाराज से सम्पत्ति पर से कब्जा हटवाने और मुकदमा दर्ज होने के बाद इनके कारनामों की पोल पट्टी खुलने की शुरूआत हो चुकी है। संतों का कहना है कि अब यूपी के बरेली और पीलीभीत में फर्जी दस्तावेजों से जमीन कब्जाने और गुजरात में चल रहे सम्पत्ति के खेल का भी पर्दाफाश किया जाएगा। संतों का कहना है कि जिन-जिन सम्पत्तियों पर इन्होंने जबरन व कूटरचित कब्जा किया हुआ है, उनका भी पटाक्षेप कर जनता के सामने इनकी असलियत लायी जाएगी।