मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को सिद्धपीठ मां सुरकंडा देवी मंदिर रोपवे सेवा का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने इसके बाद मां सुरकंडा देवी मंदिर में पूजा-अर्चना कर प्रदेश की सुख एवं समृद्धि की कामना की।
इस दौरान सीएम धामी ने कहा कि चारधाम यात्रा में इस बार रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है। देवभूमि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने की कवायद शुरू कर दी गई है। धनौल्टी क्षेत्र में तीर्थाटन और पर्यटन की संभावनाओं को देखते हुए एक हेलीपैड बनाया जाएगा। हेलीपैड के लिए जिला प्रशासन भूमि का चयन करेगा।
उन्होंने कहा कि टिहरी झील को दुनिया का सबसे बेहतर पर्यटन स्थल बनाने की योजना है। झील क्षेत्र में विभिन्न विकास कार्यों के लिए भारत सरकार से पहले 1200 करोड़ की स्वीकृति मिली थी, जिसकी डीपीआर तैयार की जा रही है। 800 करोड़ रुपए का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया है। इस दौरान मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि मां सुरकंडा देवी के लिए रोपवे सेवा शुरू होने से श्रद्धालुओं को दर्शन करने में सुगमता होगी। इससे स्थानीय स्तर पर लोगों की आजीविका भी बढ़ेगी। राज्य में धार्मिक पर्यटन के साथ ही साहसिक पर्यटन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि रोपवे परियोजना यात्रियों एवं पर्यटकों के लिए प्रदूषण मुक्त यातायात का प्रमुख साधन है। राज्य सरकार द्वारा केंद्र की पर्वतमाला योजना के अंतर्गत जनपदों में विभिन्न रोपवे परियोजनाओं के निर्माण हेतु काम किए जा रहे हैं। टिहरी जनपद में लगभग 42 वर्ग किलोमीटर में फैली विशालकाय झील में विभिन्न साहसिक जल क्रीड़ाओं का संचालन किया जा रहा है। इस झील में पर्यटन से संबंधित अन्य गतिविधियों के लिए योजना बनाई जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में राज्य में सभी क्षेत्रों में विकास के कार्य तेजी से हो रहे हैं। वर्ष 2025 में जब हम उत्तराखंड राज्य स्थापना की रजत जयंती मनाएंगे, उस समय उत्तराखंड हर क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों में होगा। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि मां सुरकंडा के लिए रोपवे सेवा शुरू होने से यहां श्रद्धालुओं की संख्या में तेजी से वृद्धि होगी। चारधाम यात्रा के दृष्टिगत श्रद्धालुओं के लिए हर संभव सुविधाएं उपलब्ध कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य के अन्य क्षेत्रों में भी धार्मिक एवं साहसिक पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है।
सिद्धपीठ सुरकंडा मंदिर के लिए अब श्रद्धालुओं को खड़ी चढ़ाई नहीं चढ़नी पड़ेगी। इसके लिए श्रद्धालुओं को 177 रुपये खर्च करने पड़ेंगे।