हरिद्वार। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन में चार संतों के अखाड़े से निष्कासन के बाद संतों की रार थमने का नाम नहीं ले रही है। निष्कासन के बाद निष्कासित संतों ने बैठक कर कार्यवाही के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित कर कार्यवाही को असंवैधानिक बताया। साथ ही निष्कासन के खिलाफ वे कोर्ट से स्टे ले आए। वहीं उसके बाद दूसरे गुट ने अखाड़े की परम्परा का क्षति पहुंचाने और मनमानी करने का दूसरे गुट पर आरोप लगाया। इसी के साथ नए विवाद में पुराने विवाद को भी हवा दे देते हुए इशारों ही इशारों में कोठरी मोहनदास का जिक्र कर बहुत कुछ कह दिया।
श्रीमहंत दुर्गादास ने कोठारी मोहन दास के लापता होने के मामले की सीबीआई जांच की मांग कर डाली। श्री महंत के इस बयान ने नए विवाद को जन्म दे दिया है। चर्चा होने लगी है कि कोठारी मोहन दास अभी जीवित हैं तथा कुछ लोग उनके बारे में जानते हैं।
वहीं कोठारी मोहन दास के लापता होने के बाद काफी हो हल्ला हुआ था। इसके बाद मुख्यमंत्री ने स्वंय अखाड़े आकर मामले की सीबीआई जांच की संस्तुति करने की बात कही थी, जिसके बाद अखाड़े के संतों ने मुख्यमंत्री को सीबीआई जांच की संस्तुति करने से इंकार कर दिया था। सवाल उठता है कि जब सीएम खुद सीबीआई जांच की संस्तुति करने की बात कह रहे थे तो संतों ने क्यों मना किया।
चर्चा है कि यदि मोहन दास मामले ही सीबीआई जांच होती तो कई उसमें फंस सकते थे। यदि ऐसा नहीं था तो सीबीआई जांच से इंकार क्यों किया। अब महंत दुर्गादास ने सीबीआई जांच की मांग कर बड़ा दांव चल दिया है। इस संबंध में महंत दुर्गादास ने कई विभागों को पत्र भेजकर मामले की सीबीआई जांच की मांग की है।
साथ ही चर्चा है कि जिस अप्रत्यक्ष रूप से चल रहे रियल स्टेट कारोबार को मोहन दास छोड़कर गए थे, वे कैसे जारी रहा। चर्चा है कि यदि मोहन दास के लापता होने के मामले की सीबीआई जांच हो जाती है तो कई बड़े चेहरे बेनकाब हो सकते हैं।