उठने, बैठने, खाने-पीने और सोने के ढंग न होने के कारण जीवनशैली से संबंधित समस्याएं आम हो चली हैं। इनमें ही एक समस्या जो अक्सर लोगों को परेशान करती है नाम है सरवाईकल स्पोंडीलाईटीस आयुर्वेद में ग्रीवाशूल के अंतर्गत इसका उपचार प्रचलित है।
इसमें कुछ अनुभूत योग काफी लाभदायक हैं जिनका चिकित्सक के मार्गदर्शन में प्रयोग किया जाना उचित है।
1ः- धतूरे के बीज 10 ग्राम, रेवंदचीनी 8 ग्राम, सोंठ 7 ग्राम, गर्म तवे पर फुलाई हुई सफेद फिटकरी 6 ग्राम, इसी तरह फुलाया हुआ सुहागा 6 ग्राम, बबूल का गोंद 6 ग्राम इन सब औषधियों को बारीक पीस लें और धतूरे के पत्तों के रस से गीला करके उड़द के दाने के (125 मिलीग्राम यानी एक रत्ती) बराबर गोलियां बना लें। इस गोली को दिन में केवल एक बार गर्म पानी से दोपहर का भोजन करने के बाद ही लेना चाहिए।
ध्यान रहे खाली पेट दवा हरगिज न लें।
2ः- मनोहर बूंद (रामफल) वटी, दशमूल घनवटी, शिलाजीत वटी की 2-2 गोली दिन में दो बार सुबह-शाम दशमूल काढ़े के साथ लेना भी बहुत लाभकारी होता है।
3ः- नारायणी तेल की तीन-तीन बूंदे दोनांे कानों व नाक में सुबह-शाम डालना भी लाभकारी होता है एवं इसकी मालिश बहुत चमत्कार दिखाती है।
4ः- महारास्नादि काढ़े के साथ दस से पंद्रह मिली की मात्रा में खाली पेट लेना भी लाभदायक होता है। ये तो कुछ अनुभूत योग हैं इसके अलावा पंचकर्म चिकित्सा भी सरवाईकल स्पोंडीलाईटीस के रोगियों में काफी कारगर होती है।
उपरोक्त नुस्खे महज पाठकों की जानकारी हेतु अनुभूत योग के रूप में प्रकाशित किए गए हैं, जिनका चिकित्सक के निर्देशन में प्रयोग किया जाना नितांत आवश्यक है।
Dr.(Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy, Kankhal Hardwar
aapdeepak.hdr@gmail.com, 9897902760