सोलर विडो तकनीक के लिए IIT व GIC RI ने मिलाया हाथ

हरिद्वार। विश्वस्तरीय जलवायु सुरक्षा प्रयासों को जारी रखते हुए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रूड़की (आईआईटी रूड़की) ने उर्जा उत्पन्न करने वाली सोलर विंडो टेक्नोलॉजी के विकास के लिए बीमा जगत के दिग्गज जनरल इंश्योरेन्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (जीआईसी आरई) के साथ नई साझेदारी शुरू की है। यह जनरल इंश्योरेन्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (जीआईसी आरई) की कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) पहल है। नई सोलर विंडो टेक्नोलॉजी का डिज़ाइन एवं विकास डिपार्टमेन्ट ऑफ फिज़िक्स लीड साइन्टिस्ट प्रोफेसर, सौमित्रा सतपथी द्वारा किया जाएगा। 

इस संदर्भ में आईआईटी रूड़की डेवलपमेन्ट फाउन्डेशन और जनरल इंश्योरेन्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर श्रीमति मधुलिका भास्कर (जनरल मैनेजर एवं डायरेक्टर, जीआईसी आरई), श्रीमति स्नेहा नायर (असिस्टेन्ट जनरल मैनेजर, जीआईसी आरई), बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स आईआईटीआरडीएफ- प्रोफेसर के.के. पंत (डायरेक्टर आईआईटी रूड़की), प्रोफेसर मुकत लाल शर्मा (डीन फाइनैंस, एण्ड प्लानिंग आईआईटी रूड़की) प्रोफेसर पार्था रॉय (डीन ऑ फ रिसोर्सेज़ एण्ड एल्मुनाई अफे़यर्स आईआईटी रूड़की), प्रोफेसर अक्षय द्विवेदी (डीन एसआरआईसी आईआईटी रूड़की) और श्री संतोष कुमार (चीफ़ एक्ज़क्टिव ऑफिसर आईआईटीआरडीएफ) मौजूद थे। आईआईटी रूड़की डेवलपमेन्ट फाउन्डेशन 12 मई 2021 को स्थापित आईआईटी रूड़की की सेक्शन-8 यानि गैर लाभ कंपनी है। 

भारतीय रीइंश्योरेर जनरल इंश्योरेन्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (जीआईसी आरई), विभिन्न बीमा समाधानों के साथ आम लोगों, कॉर्पोरेट एवं संस्थागत क्लाइंट्स की ज़रूरतों को पूरा करती है। 50 साल से अधिक अनुभव के साथ जीआईसी आरई भारत में अपने बीमा एवं रीइंश्योरेन्स उपभोक्ताओं के लिए भरोसेमंद ब्राण्ड है। जीआईसी आरई का यह सीएसआर प्रोग्राम, यूएन एसडीजी लक्ष्य 4: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं लक्ष्य 7: किफ़ायती एवं स्वच्छ उर्जा, लक्ष्य 9: उद्योग, इनोवेशन एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर, लक्ष्य 11: स्थायी शहर एवं समुदाय के तहत शिक्षा, आर एण्ड डी, हरित उर्जा एवं स्थायित्व के बीच तालमेल बनाएगा।

इस प्रोजेक्ट में प्रोफेसर सतपथी और उनकी टीम इंटीग्रेटेड फोटोवोल्टिक्स के निर्माण के लिए सेमी-ट्रांसपेरेन्ट पेरोवस्काईट सोलर सैल्स बनाएगी। यह सेमी-ट्रांसपेरेन्ट पेरोवस्काईट सोलर विंडोज़ दिन के समय विद्युत बनाएंगे जिससे विद्युत के पारम्परिक स्रोतों पर निर्भरता कम होगगी। इससे न सिर्फ कार्बन फुटप्रिन्ट में कमी आएगी बल्कि घर के मालिकों एवं कारोबारों के लिए लागत की बचत करेगी। इसी स्वच्छ, स्थायी उर्जा से युक्त हरित भविष्य को बढ़ावा मिलेगा। 

प्रोफेसर के.के. पंत, डायरेक्टर, आईआईटी रूड़की ने कहा, ‘‘आईआईटीआरडीएफ के तत्वावधान में जीआईसी आरई की यह सीएसआर परियोजना भावी उर्जा प्रभावी इमारतों के लिए कार्बन फुटप्रिन्ट को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। आईआईटी रूड़की आर एण्ड डी के माध्यम से स्थायित्व को बढ़ावा देगी। यह परियोजना उद्योगों एवं अकादमिक जगत के बीच आपसी सहयोग का मार्ग प्रशस्त करेगी।’’ 

श्रीमति मधुलिका भास्कर, जनरल मैनेजर एवं डायरेक्टर, जीआईसी आरई, ने कहा, ‘‘सीएसआर के प्रति जीआईसी आरई की सशक्त प्रतिबद्धता के तहत हमें खुशी है कि हम इस आधुनिक परियोजना के साथ जुड़े हैं, जो इन्सटॉलेशन की लागत को कम कर उर्जा प्रभावी इमारतों के निर्माण पर ध्यान केन्द्रित करेगी। यह परियोजना शून्य कार्बन उर्जा की दिशा में उल्लेखनीय कदम है।’

प्रोफेसर सौमित्रा सतपथी, लीड साइन्टिस्ट ने कहा, ‘‘पेरोवस्काईट आधारित सोलर विंडोज़ भावी हरित इमारत सेक्टर के लिए गेम चेंजर साबित होंगी। इससे कार्बन उत्सर्जन को कम करने और स्थायी भविष्य के निर्माण में मदद मिलेगी।’

संतोष कुमार, चीफ़ एक्ज़क्टिव ऑफिसर, आईआईटी रूड़की डेवलपमेन्ट फाउन्डेशन ने कहा, ‘‘समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के इस समारोह ने आईआईटीआर डेवलपमेन्ट फाउन्डेशन और जीआईसी आरई के बीच सामरिक साझेदारी के मार्ग प्रशस्त किए हैं। हम आईआईटी रूड़की और समाज पर सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करने के लिए सशक्त संबंधों के निर्माण हेतु जीआईसी आरई के साथ काम करते रहेंगे।’

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