राधास्वामी सतसंग सभा लगभग संवत 205 वर्षों से भी अधिक समय से न केवल मानव एवं जीवित पशु-पक्षियों के वास्तविक कल्याणकारी कार्यों के प्रति जागरुक है, अपितु निरन्तर प्रयासरत रहे हैं। बैकुण्ठधाम के पास यमुना किनारे राधास्वामी सतसंग सभा की कृषि योग्य भूमि है, जहां वर्ष भर अनेक फसलें बोई एवं काटी जाती हैं, यही नहीं आर्गेनिक एवं प्रिसिशन फलिंग के लिए उचित बीजों को भी आर्गेनिक विधि से स्वयं उत्पन्न करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। राधास्वामी सतसंग सभा ने अपने स्वयं सेवकों द्वारा सामाजिक कल्याण के प्रति जागरुकता से प्रभावित हो कर यमुना तट पर सफाई अभियान चला कर लगभग 10-12 ट्राली प्लास्टिक एवं अन्य प्रकार का कूड़ा हटा कर यमुना तट को पूर्ण रूप से प्रदूषण मुक्त कर दिया है।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि दयालबाग शिक्षण संस्थान अपने अर्न्तराष्ट्रीय स्तर के शोध कार्यों में बहुत अग्रणी ख्याति एवं मान्यता प्राप्त है। यहाँ के प्रोफेसर एवं विद्यार्थियों को यमुना एवं यमुना तट पर कई प्रकार के शोध पत्र एवं पेटेंट के रूप में मान्यता प्राप्त होने लगी हैं और इस के भविष्य में अनेक महत्त्वशील कार्य करने की सम्भावनाएं प्रतीत हो रही है। कई प्रकार की दुर्लभ जाति की वनस्पतियां तथा जडी-बूटियाँ यहाँ उपलब्ध हैं जिनके औषधीय एवं स्वास्थ्यवर्धक गुण मानवमात्र एवं पशु-पालन के लिए कल्याणकारी सिद्ध हो रहे हैं एवं भविष्य में बाहुल्य में हो सकते हैं। इससे उत्साहित हो कर दयालबाग शिक्षण संस्थान ने अपनी भूमि पर 3 प्रकार की शोधशालाएं स्थापित कर दी हैं तथा जल एवं मिट्टी की कई प्रकार से जाँच करनी शुरू कर दी है।
यहां पर प्रत्येक रविवार को आसपास के गावों के लगभग 350-400 ग्रामवासी प्रत्येक रविवार को इस कैम्प का लाभ उठाते हैं। राधास्वामी सतसंग सभा तो सदैव से ही आसपास के ग्रामीणों की मदद करती रही है। राधास्वामी सतसंग सभा न तो किसी की सम्पत्ति या भूमि पर अतिक्रमण कभी नहीं किया ना ही अवैध कब्जा हासिल किया गया है। ऐसा अनर्गल आरोप ऐसे असामाजिक और स्वार्थी तत्व लगाते रहते हैं जिनकी अवांछनीय एवं असामाजिक गतिविधियों से राधास्वामी सतसंग सभा के कार्यों से अवरोध उतपन्न होता रहा है। राधास्वामी सतसंग सभा तो शान्तिपूर्वक तरीके से बैकुन्ठधाम के यमुनातट को सुन्दर तथा आमजन के प्रयोग के लिए मनोरम स्थल के रूप में विकसित करना चाहते हैं।